मनुष्य को सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए। बुरे कर्म करने वाला व्यक्ति समाज में घृणा का पात्र बनता है जबकि अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति को समाज में उच्च स्थान मिलता है। इसलिए हमें बिना फल की चिंता किए अच्छे कर्म करते रहना चाहिए। इसे समझाने के लिए भगवान बुद्ध ने एक जातक कथा कही है।
जातक कथा कुछ इस तरह है कि किसी समय एक जंगल में यक्षिणी रहती थी। यक्षिणी में बुराइयां व्याप्त थी। वह सदैव जंगल में आने वाले लोगों के साथ लूट-पाट करती और उन्हें हानि पहुंचाती। ऐसा करके यक्षिणी को बहुत प्रसन्नता होती थी। हालांकि यक्षिणी की शक्तियां सिर्फ जंगल तक ही सीमित थी। जंगल के बाहर वह किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती थी।
एक दिन उस जंगल से एक खूबसूरत नौजवान युवक गुजर रहा था। युवक को देखकर यक्षिणी उस पर मोहित हो गई। यक्षिणी ने युवक के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन युवक ने यक्षिणी से विवाह करने से मना कर दिया। इससे गुस्सा होकर यक्षिणी ने युवक को बंधक बना लिया और उससे विवाह कर लिया। यक्षिणी युवक को हमेशा कैद में ही रखती थी क्योंकि उसे डर था कि वह जंगल से बाहर भाग जाएगा। कुछ समय बाद यक्षिणी ने एक बालक को जन्म दिया।
बालक बचपन से ही बुद्धिमान था, उसने अपनी मां से पैरों के निशान पढ़ने की शिक्षा हासिल की थी। हालांकि उसे यह पसंद नहीं था कि उसके पिता कैद में रहे। इसलिए एक दिन मौका देखकर बालक पिता को कैद से मुक्त करवाकर उन्हें जंगल से बाहर ले आया। जंगल से बाहर आने के बाद यक्षिणी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती थी। पिता-पुत्र जंगल से बाहर आने के बाद वाराणसी में बस गए।
एक दिन वाराणसी के सरकारी खजाने में चोरी हो गई। प्रजा की मेहनत का खजाना चोरी होने से वहां हड़कम्प मच गया। राजा ने तुरंत घोषणा करवाई कि जो भी व्यक्ति खजाने के संबंध में जानकारी देगा उसे इनाम दिया जाएगा। राजा की घोषणा सुनकर यक्षिणी का पुत्र राजा के पास पहुंचा और पैरों के निशान पढ़ते हुए राजा व प्रजा को जहां खजाना छुपाया हुआ था, वहां ले गया। राजा और प्रजा खजाना मिलने से बहुत खुश हुए और बालक से पूछा कि खजाने की चोरी करने वाले व्यक्ति का नाम बताओ। इस पर बालक ने चोर का नाम बताने से इंकार कर दिया। जब प्रजा ने दोबारा बालक से चोर का नाम पूछा तो बालक ने उन्हें बताया कि सरकारी खजाने में चोरी राजा और पुरोहित ने मिलकर की है। यह सुनकर प्रजा गुस्सा हो गई और राजा व पुरोहित को मार डाला। साथ ही प्रजा ने उस बालक को राजा घोषित कर दिया।