आज हम जिस संगठन और एकता की बातें सुनते हैं या करते हैं, भगवान श्रीराम की सेना उसका सबसे बड़ा उदहारण है. जिस सेना ने अपने बलबूते पर समुद्र पर सेतु का निर्माण कर दिया, जिस सेना ने श्रीराम के नेतृत्व में रावण की विशाल राक्षसी सेना को परास्त कर दिया. जिस सेना को हर बड़ी से बड़ी मुश्किल पार करनी थी. और जिस सेना को केवल अपने प्रभु राम की ही बात सुननी थी.
उम्मीद, अपेक्षा, क्षमता और सफलता, केवल यही मूल मंत्र था भगवान श्रीराम की सेना का. वो टीम वर्क जिसे करने की बात आज पूरी दुनियां करती है. बड़े बड़े कॉर्पोरेट हाउस और उधोग इसी के बलबूते चलते हैं. उसी टीमवर्क का काम कैसा होता है, राम सेतु से बड़ा उदाहरण इसके लिए आज तक दुनिया में और कोई नहीं है.
हर समस्या समाधान के लिए होती है. यही सिखाया हमें श्रीराम की सेना ने. आज बड़े बड़े उधोग भी अन्दर की राजनीति से नहीं बचे हैं. यही भितरवाद हर काम में बाधक होता है. इसके लिए सिर्फ अच्छी टीम को ही ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, बल्कि अच्छे नेतृत्व का होना बहुत ज़रूरी है.
भगवान श्रीराम के नेतृत्व में काम करने के लिए उनकी सेना कुछ भी करने के लिए तैयार थी. उन्हें बस अपने प्रभु की मुस्कान का एक भरोसा मिल जाए, उसी के बलबूते वो हर बाधा को पार कर जाती थी. क्योंकि प्रभु राम की उस मुस्कान में वो भरोसा था, जो उन्हें ये दिलासा देता था कि, चिंता मत करो, मैं तुम्हारे साथ हूँ. और यही वो ताक़त होती है, जिससे जीवन की बड़ी से बड़ी कठिनाई से पार पाया जा सकता है. आज भी हम सब जब मुश्किल में होते हैं, तो प्रभु राम का नाम लेते हैं, और उनका नाम हमें हर परेशानी से बाहर निकाल देता है.