हिन्दू धर्म में हर महीने को पावन माना जाता है, और हर दिन का कोई न कोई विशेष महत्त्व होता है| और इन विशेष दिनों में आने वाले व्रत और त्यौहार का फल भी अलग अलग होता है| अभी अषाढ़ का महीना चल रहा है, और कुछ दिन बाद यानि 6 जुलाई से श्रावण मास शुरू हो जाएगा| अषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का काफी धार्मिक महत्व होता है| और इसे वासुदेव द्वादशी पर्व के तौर पर मनाया जाता है|
इस दिन विशेष तौर पर भगवान् श्रीकृष्ण और लक्ष्मी माँ का पूजन किया जाता है| इस पूजन की भी ख़ास विधि होती है| सुबह सुबह जल्दी स्नान करके सफ़ेद वस्त्र धारण किये जाते हैं, सिर्फ इतना ही भगवान श्रीकृष्ण का तो सोलह प्रकार के पदार्थों से पूजन किया जाता है, और उन्हें फल फूल इत्यादि के साथ विशेष रूप से हाथ का पंखा भी चढ़ाया जाता है, और पंचामृत से उनका भोग किया जाता है| और मान्यता ये भी है कि, इस दिन भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम का जप किया जाए तो इंसान को बहुत सारे कष्टों से निवारण भी मिलता है|
वासुदेव द्वादशी के दिन व्रत रखने का भी बहुत महत्व है, और इस व्रत का फल तो बहुत अद्भुत माना जाता है| कहते हैं कि, इस दिन व्रत रखने से इंसान द्वारा पूर्व में किये गए ज्ञात अज्ञात पापों का नाश हो जाता है|
इस व्रत की एक पौराणिक मान्यता भी है, जिसके अनुसार माँ देवकी ने भी भगवान कृष्ण के लिए ये व्रत रखा था, और इसके बाद हिन्दू धर्म में इसकी महिमा प्रबल होती गई, जो आज तक उसी तरह कायम है| निसंतान दंपत्ति, संतान प्राप्ति के लिए भी इस व्रत को करते हैं, इस दिन लोग दान पुण्य भी करते हैं, जिसका विशेष फल प्राप्त होता है|