विदेशी भी अपने साथ ले जाते हैं भगवान श्रीराम के समय से बने रामकुण्ड का जल

भगवान श्रीराम ने बचपन में ही अपने महल से बाहर जाने के लिए पहली बार अपने कदम गुरुकुल जाने के लिए ही निकाले थे, यह गुरुकुल महर्षि वशिष्ठ का आश्रम था, जहां उन्होंने अपने भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ पढ़ाई की थी। क्या आप जानते हैं कि यह आश्रम अब कहां है और उसे किस नाम से जाना जाता है। रामायण काल की यह जगह राजस्थान के हिल स्टेशन माउंटआबू में है, जहां भगवान श्रीराम ने अपने भाइयों के साथ शिक्षा ग्रहण की थी। भगवान श्रीराम से जुड़े कई प्रमाण यहां आज भी मौजूद हैं। यहां पहुंचने के लिए 450 सीढ़ियों से नीचे उतरना होता है, यहां साढ़े पांच हजार साल पुराना मंदिर है। इस स्थान की ऊंचाई समुद्रतल से 1206 मीटर यानी 3970 फीट है। भगवान राम के यहां आने के कई सबूत मौजूद हैं। अर्धकाशी कहलाने वाली इस नगरी में भगवान राम की पाठशाला है। इसके साथ ही उनकी लीला से जुड़े कई अन्य स्थल भी हैं।

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महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में प्राचीन रामकुंड स्थित है। इस रामकुंड का वर्णन स्कंद पुराण में भी आता है। यहां भगवान राम रोज सुबह स्नान किया करते थे। बाद में यह रामकुंड के नाम से जाना जाता है। इस कुंड के बारे में खास बात ये है कि इसका पानी लोग आज भी पीते हैं। रामकुंड के पानी के बारे में ये माना जाता है कि ये कई रोगों से मुक्ति दिलाने वाला और मानसिक शांति देने वाला है। रामकुंड का जल विदेशी भी ले जाते हैं। स्थानीय लोगों की इस कुंड और उसके जल के प्रति गहरी आस्था है। लोग इसे भगवान राम का प्रसाद मानते हैं। रामकुंड का पानी कभी भी खराब नहीं होता है, इसलिए जो श्रद्धालु यहां आते हैं वे इसके जल को आदर के साथ अपने साथ जरूर ले जाते हैं और गंगा जल की तरह इसे पूजा में रखते हैं।