आखिरकार वर्षों का इंतज़ार ख़तम हुआ, और अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण की शुभ घड़ी आ गई है. 5 अगस्त को शिलान्यास होगा और उसके बाद, निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. दुनियां में कुछ भी आज तक ऐसे ही नहीं मिला, जिस तरह इंसान को जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ता है, ऐसे ही राम मंदिर आन्दोलन में कई जीवन एक साथ संघर्ष कर रहे थे, और स्वयं प्रभु राम भी इस संघर्ष का हिस्सा बने रहे. क्योंकि रामलला विराजमान के नाम से वो स्वयं अपना पक्ष अदालत में रख रहे थे. इस आन्दोलन के कुछ ऐसे चेहरे हैं, जिन्हें हम कभी नहीं भूल पायेंगे. जब जब राम मंदिर के इतिहास का ज़िक्र आएगा, ये चेहरे सबसे आगे चमकते हुए दिखाई देंगे. इन सबने अपना जीवन इस आन्दोलन के लिए खपा दिया.ImageSource
आन्दोलन में सबसे पहला नाम आएगा, विश्व हिन्दू परिषद के संस्थापक और महासचिव स्वर्गीय अशोक सिंघलजी का. जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार 09 नवम्बर 2019 के दिन अयोध्या पर फैसला सुनाते हुए विवादित ज़मीन का हिस्सा रामलला और हिन्दू पक्ष को देने का फैसला किया, उसी समय भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट करके विश्व हिन्दू परिषद के इस दिवंगत नेता को भारत रत्न देने की मांग कर दी. अशोक सिंघल राम मंदिर आन्दोलन के सबसे बड़े नेता थे, और उन्होंने ही राम जन्मभूमि न्यास का गठन किया.
लगातार 20 साल तक विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल ही वो इन्सान थे, जिन्होंने अयोध्या के राम मंदिर आन्दोलन को इतना बड़ा रूप दे दिया कि, हर घर से राम मंदिर बनाने की आवाज़ उठने लगी. और उसी के बाद कारसेवकों ने अयोध्या की तरफ कूच करना शुरू किया, और हज़ारों की संख्या में लोग वहां इकठ्ठे हो गए थे. और देखते ही देखते इस आन्दोलन ने आक्रोश का रूप ले लिया था. अशोक सिंघलजी 2011 तक विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष रहे, और फिर स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया. 17 नवम्बर 2015 को अशोक सिंघलजी का देहावसान हो गया. आज वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन हमेशा राम मंदिर आन्दोलन के सबसे बड़े चेहरे के रूप में वो याद आयेंगे.
ऐसे ही कुछ और नाम हैं, भाजपा नेता श्रीलालकृष्ण आडवाणी, डॉ मुरली मनोहर जोशी, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, भाजपा नेता विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, उमा भारतीजी जैसे कई बड़े नाम हैं, जो आज इस मंदिर के शिलान्यास पर बेहद खुश हैं.