भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी पर शानिवार (22 अगस्त) को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा. आपको बता दें कि गणेश पुराण में इस चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा गया है. ऐसा माना जाता है कि विश्व के कल्याण के लिए भगवान शिव और पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के को शिव जी व पार्वती जी के सुपुत्र के रुप में भगवान गणेश प्रकट हुए थे. यही कारण है कि इस तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस विशेष समय काल में गणेशजी की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती और कष्ट भी दूर होते हैं.
इस साल देश के सभी मंदिरों में पूजा तो की जाएगी. लेकिन कोरोना के चलते गणेश भक्तों को मंदिरों में एंट्री नहीं मिलेगी. ऐसे में गणेश भक्त, गणपति जी की मूर्ति को घर पर ले जा रहे हैं और पूजा की तैयारी में लगे हैं. हरबार की अपेक्षा इस बार का गणेश उत्सव थोड़ा फीका रहेगा. देश के सभी बड़े मंदिरों के प्रबंधकों ने गणेश भक्तों के लिए आरती को ऑनलाइन दिखाने की तैयारी की है.
गणेश चतुर्थी पर भगवान श्रीगणेश की स्थापना करने का शुभ मुहूर्त:
क. गणेश चतुर्थी का पर्व 21 अगस्त की रात्रि 11:04 मिनट से शुरु हो जाएगा.
ख. गणेश चतुर्थी तिथि का समापन 22 अगस्त की शाम 7:58 पर होगा.
ग.शुभ चौघड़िया सुबह 7:58 से 9:30 तक
घ.लाभ चौघड़िया दोपहर 2:17 से 3:52 मिनट तक
ङ अमृत चौघड़िया शाम 3:53 से 5:17 तक
आपको बता दें कि यदि शुभ लाभ और अमृत चौघड़िया के दौरान पूजा करते हैं तो यह विशेष लाभकारी होगा.
इस बार कोरोना महामारी के चलते सार्वजनिक स्थानों पर हर साल की तरह आयोजन नहीं हो रहे हैं. और जगह-जगह गणपति जी की मूर्ति भी स्थापना नहीं की जा रही है.