हिंदू धर्म में गंगा नदी को देवी और मां का दर्जा प्राप्त है। कई तीर्थ स्थल तो इसके किनारे बसे हुए हैं। हरिद्वार, वाराणसी और प्रयागराज जैसे तीर्थ स्थान इसका प्रमुख उदाहरण हैं। मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान करने से मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है। मृत्यु पर्यन्त मनुष्य के परिजन अस्थियों का विसर्जन गंगा में करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से मृत आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। साथ ही आपने देखा होगा कि धार्मिक और मांगलिक कामों में गंगाजल का उपयोग खासतौर पर किया जाता है। गंगा जल को पवित्र मानने के पीछे धार्मिक कारणों के अलावा कई वैज्ञानिक तथ्य भी हैं।
गंगा का पौराणिक महत्त्व
गंगा नदी के से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। कुछ पुराणों में स्वर्ग में गंगा को मंदाकिनी के रूप में माना गया है, तो धरती पर गंगा के रूप में, और पाताल लोक में भोगवती के रूप में बहने वाली नदी बताया है। जानकारी के अनुसार गंगा नदी भगवान विष्णु के अंगूठे के नाखून से निकली है. कुछ पुराणों में तो यहां तक बताया गया है कि शिवजी ने अपनी जटाओं से गंगा को सात धाराओं में बदल दिया जिनमें तीन नलिनी, ह्लदिनी एवं पावनी पूर्व की ओर, तीन यानी सीता, चक्षुस एवं सिन्धु पश्चिम की ओर बहती है। वहीं सातवीं धारा भागीरथी बनी। कूर्म पुराण का कहना है कि गंगा नदी सबसे पहले सीता, अलकनंदा, सुचक्ष और भद्रा नाम चार धाराओं के रूप में बहती है। अलकनंदा दक्षिण की ओर बहती है और सप्तमुखों में होकर समुद्र में गिरती है।
ये हैं गंगा जल से जुड़े वैज्ञानिक तथ्य
1. लखनऊ के नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) के मुताबिक गंगा जल में ई कोलाई बैक्टीरिया पाया जाता है जो कई बीमारियों से लड़ने में सक्षम है.
2. वैज्ञानिकों के अनुसार “गंगा का पानी जब हिमालय से आता है तो कई तरह के खनिज और जड़ी -बूटियों का असर इस पर होता है. इसी कारण गंगा में औषधीय गुण पाए जाते हैं।
3. जानकारी के अनुसार गंगा जल में वातावरण से ऑक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता होती है। गंगा के पानी में अधिक मात्रा में गंधक पाया जाता है, इसलिए लंबे समय तक चलता है या कहें खराब नहीं होता.
4. गंगाजल में नहाने से या गंगाजल पीने से कई बीमारियां दूर रहती हैं जैसे हैजा, प्लेग और मलेरिया आदि रोगों के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं.