कल यानी 22 अगस्त से गणेश चतुर्थी के त्यौहार के साथ ही भगवान श्री गणेश की पूजा का महोत्सव पूरे देश में धूमधाम से शुरू हो चुका है. 11 दिन के इस उत्सव को सदियों से भारतीय जन मानस बड़े उत्साह से मनाता रहा है. गणेश चतुर्थी के साथ ही भक्त अपनी अपनी श्रद्धा के अनुसार गणेश जी की मूर्ति लेकर आते हैं और उसे अपने घर या सोसाइटी में स्थापित करते हैं. कहीं कहीं किसी मोहल्ले या उपनगर के सार्वजनिक गणपति होते हैं, जिसमें सब लोग मिलकर हिस्सा लेते हैं. प्रतिदिन गणेश भगवान की मनपसंद चीज़ों का उन्हें भोग लगाया जाता है. महाराष्ट्र में ये त्यौहार सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है, खासकर मुंबई और पुणे में तो इसके लिए बड़ी तैयारियां की जातीं है. और जितना महत्व गणेश चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश की स्थापना को दिया जाता है, उतना ही महत्व श्रीगणेश के विसर्जन को दिया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन से डेढ़ दिन, तीन दिन, पांच दिन, सात दिन और 11 वे दिन विसर्जन किया जाता है. सबसे बड़ा विसर्जन चतुर्दशी के दिन यानि 11 वे दिन किया जाता है.
लेकिन इस बार हालात थोड़े अलग हैं. पूरी दुनिया में इस समय कोरोना महामारी का प्रकोप है. इसलिए सरकार ने भी इसके मद्देनज़र सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा है. और ज़्यादातर सार्वजनिक गणेश उत्सव तो रद्द ही हो गए हैं. हाँ भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित ज़रूर किया है, पर बहुत आंशिक रूप से ही आयोजन किये जा रहे हैं. जिनमें कोई भी शामिल नहीं हो सकता. केवल 2-4 लोग ही पूजा अर्चना वगैरह करके विसर्जन की प्रक्रिया को अंजाम देंगे. लेकिन इसके लिए भी महाराष्ट्र सरकार ने नियम बनाये हैं, और विसर्जन के लिए ऑनलाइन स्लॉट लेना होगा. सभी गणेशोत्सव मण्डलों और आम नागरिकों को विसर्जन से पहले ही स्लॉट की बुकिंग करनी होगी. और बहुत सीमित संख्या में तय समय के अनुसार विसर्जन करना होगा. बीएमसी ने इसके लिए एक वेबसाइट भी शुरू की है.
तो इस तरह से इस बार विसर्जन के सभी दिनों में बहुत शान्ति के साथ भगवान श्री गणेश को विदाई दी जायेगी. हालांकि इस बार उत्सव का रंग पहले जैसा नहीं है. और सभी भक्त यही कामना कर रहे हैं कि, भगवान श्रीगणेश आने वाले दिनों में सब कुछ ठीक कर दें. ताकि पहले की ही तरह सभी त्योहारों को धूम धाम से मनाया जा सके. इसी उम्मीद के साथ आज डेढ़ दिन के गणपति बप्पा का विसर्जन किया जा रहा है.