महाभारत के युद्ध में बड़े बड़े योद्धा शामिल हुए थे, हर एक योद्धा शूरवीर था, किसी में एक हज़ार हाथियों का बल था, तो कोई महान धनुर्धर था, कोई सोलह कलाओं का ज्ञाता था तो किसी को चक्रव्यूह भेदना आता था. इतना सब होने के बाद भी युद्ध कई दिन तक चलता रहा, तब जाकर ये समाप्त हुआ.ImageSource
कहा जाता है, युद्ध प्रारम्भ होने से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने कई वीरों से पूछा था कि, वह इसे कितने दिनों में समाप्त कर सकते हैं? इस पर भीष्म पितामह ने उत्तर दिया कि, उन्हें 20 दिन लगेंगे, तो वहीँ गुरु द्रोण ने कहा कि, उन्हें 25 दिन लगेंगे, कर्ण ने इसके लिए 24 दिन का समय बताया, तो अर्जुन ने कहा कि, वह 28 दिन में अपनी पूरी शक्ति से इस युद्ध को समाप्त कर सकते हैं.
पांडवों की तरफ से समय आने पर भीम के पुत्र घटोत्कच को भी रणभूमि में आना पड़ा, और उसका भी अंत हो गया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक ऐसा वीर भी था जो इस युद्ध को केवल एक घड़ी में समाप्त कर सकता था. और उस वीर का नाम था बर्बरीक, जो महाबली भीम का पौत्र था, और घटोत्कच का पुत्र.
कहते हैं, बर्बरीक ने युद्ध की कला अपनी मां से सीखी थी. यहाँ तक कि, भगवान शिव भी बर्बरीक की युद्ध कला से बहुत प्रभावित हो गए थे, और उन्होंने स्वयं, उसे तीन विशेष बाण दिए थे. इसके अलावा उन्हें अग्निदेव से एक विशेष धनुष भी प्राप्त हुआ था.
मान्यताओं के अनुसार, महाभारत का युद्ध शुरू होने के दौरान बर्बरीक ने अपनी माँ से उसे देखने की इच्छा व्यक्त की. उसकी माँ इसके लिए तैयार तो हो गई, किन्तु जाने से पहले उन्होंने पूछा कि, यदि तुम्हें इस उसमें भाग लेने का अवसर मिले तो तुम किसकी तरफ से युद्ध करना चाहोगे? बर्बरीक ने अपनी माँ को इस बात के लिए आश्वस्त किया कि, वह उस पक्ष में शामिल होगा, जो कमजोर होगा.
बर्बरीक के इस कथन को श्रीकृष्ण ने सुन लिया, और उन्होंने बर्बरीक की शक्ति का परीक्षण लेने के लिए एक ब्राहमण का वेश धारण किया और बर्बरीक के सामने उपस्थित हुए. कृष्ण ने उससे पूछा कि, यदि तुम्हे इस युद्ध को अकेले लड़ना हो तो कितने दिन में इसे समाप्त कर दोगे? इस पर बर्बरीक ने कहा कि, उसे ये युद्ध समाप्त करने में केवल एक घड़ी का ही समय लगेगा. कृष्ण ने इस बात को समझने का प्रयास किया तो, तो बर्बरीक ने कहा कि, उसके पास तीन बाण हैं, उनमे से पहले बाण से उन चीज़ों को चिन्हित करूँगा जो मुझे नष्ट करनी हैं, दूसरे बाण से मैं, उन चीज़ों को चिन्हित करूँगा जो मुझे बचाना है, और तीसरे बाण से उन सबको नष्ट किया जो जाएगा जो पहले बाण से चिन्हित किया गया, और वो सब बचाया जायेगा, जो दूसरे बाण से चिन्हित किया गया है. यानी सबसे बड़ा कार्य तीसरे बाण का होगा. और इसके बाद ये सभी बाण तरकश में अपने स्थान पर वापस आ जायेंगे. जब कृष्ण ने ये सुना तो वह समझ गए, बर्बरीक के ऊपर भगवान् शिव की कृपा है, और वह एक महान योद्धा है।