सनातन धर्म और ज्योतिष शास्त्र में हाथ और पैरों की रेखाएं तथा चिह्न का बहुत महत्व है और इस विषय के विद्वान किसी भी व्यक्ति के चिह्न को देखकर उनका भविष्य बता देते हैं। इनमें कुछ चिह्न बहुत शुभ होते हैं, फिर यदि भगवान के अवतार की बात करें तो उनके हस्त और चरणों में निस्संदेह सभी शुभ चिह्न होते हैं।ImageSource
श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज ने भगवान श्रीराम के चरणों के 5 चिह्नों ध्वज, वज्र, अंकुश, कमल और ऊर्ध्व रेखा का वर्णन किया है। वैसे अन्य पवित्र ग्रंथों को मिलाकर देखा जाए तो 48 शुभ चिह्नों की बात की गई है। दक्षिण चरण में 24 और वाम चरण में 24 शुभ चिह्न होते हैं। विशेष बात यह भी है कि जो चिह्न श्रीराम के दक्षिण चरण में हैं वे देवी सीता के वाम चरण में हैं और जो चिह्न राम जी के वाम चरण में हैं वे सीता जी के दक्षिण चरण में हैं।
भगवान श्रीराम के दक्षिण चरणों के शुभ चिह्नों में ध्वजा भी है। इसका रंग लाल बताया गया है। इसे विचित्र वर्ण का कहा जाता है। इसके ध्यान से विजय तथा कीर्ति की प्राप्ति होती है। शुभ चिह्नों में चरण में वज्र का निशान भी होता है, इसका रंग बिजली जैसा होता है। इसे इंद्र का वज्र माना जाता है। जो लोग इसका ध्यान करते हैं, उनके पापों का क्षय होता है तथा बल की प्राप्ति होती है। अंकुश का रंग श्याम है। जो व्यक्ति इसका ध्यान करता है, उसे दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है। संसार के विकारों का नाश होता है और मन पर नियंत्रण संभव हो जाता है। चरणों के शुभ अंकों में शामिल कमल का रंग गुलाबी होता है। इस चिह्न को विष्णु-कमल कहा जाता है। इसका ध्यान करने वालों के यश में वृद्धि होती है तथा उनका मन प्रसन्न रहता है।ImageSource
इसी तरह शुभ चिह्नों में ऊर्ध्व रेखा होती है, जिसका रंग गुलाबी है। इसका संबंध सनत, सनंदन, सनतकुमार और सनातन से हैं। जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उन्हें महायोग की सिद्धि होती है और वे भवसागर से पार हो जाते हैं। इन चिन्हों का ध्यान और चिंतन इसलिए लाभदायक होता है, क्योंकि ये भगवान श्रीराम के चरणों में मौजूद हैं। इसी प्रकार स्वस्तिक का चिह्न होता है। इसका रंग पीला है। यह मंगलकारी एवं कल्याणकारी होता है। इस चिह्न का ध्यान करने वालों को सदैव मंगल एवं कल्याण की प्राप्ति होती है।
इसी तरह भगवान श्रीराम के दक्षिण चरण में अष्टकोण होता है, जिससे अष्ट सिद्धियां सुलभ हो जाती हैं। श्रीलक्ष्मीजी का चिह्न भी है जिनका ध्यान करने से ऐश्वर्य तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है। हल, मूसल, सर्प (शेष), शर (बाण), अम्बर (वस्त्र), रथ, यव, कल्पवृक्ष, मुकुट, चक्र, सिंहासन, यमदंड, चामर, छत्र, नर (पुरुष), जयमाला आदि चिह्न भी मंगलकारी हैं। इन चिह्नों का ध्यान करने से श्रीराम के भक्तों का कल्याण होता है।
इसी प्रकार भगवान श्रीराम के वाम चरण के शुभ चिह्नों में सरयू है, जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उन्हें भगवान श्रीराम की भक्ति की प्राप्ति होती है तथा कष्ट दूर होते हैं। अन्य चिह्नों में गोपद है, इसका रंग सफेद और लाल है। यह कामधेनु का प्रतीक है। जो लोग इस चिह्न का ध्यान करते हैं, वे पुण्य, भगवद् भक्ति तथा मुक्ति के अधिकारी होते हैं। प्रभु चरण का अन्य चिह्न पृथ्वी है, इसका रंग पीला और लाल है। जो लोग इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उनके मन में क्षमाभाव बढ़ता है। कलश का निशान भी भगवान के चरणों में है। यह अमृत स्वरूप है। इसका ध्यान करने वालों को भक्ति तथा अमरता प्राप्त होती है। इसी तरह पताका, जम्बू फल, अर्धचंद्र, शंख, षट्कोण, त्रिकोण, गदा, जीवात्मा, बिंदु, शक्ति, सुधा कुंड, त्रिवली, मीन, पूर्ण चन्द्र, वीणा, वंशी (वेणु), धनुष, तूणीर, हंस और चंद्रिका प्रभु श्रीराम के चरणों में उपस्थित हैं। इन चिह्नों को भगवान के चरणारविन्द भी कहा जाता है, क्योंकि ये सभी चिह्न मंगलकारी हैं।
भगवान श्रीराम के चरणों में ये शुभ चिह्न समस्त विभूतियों, ऐश्वर्यों तथा भक्ति-मुक्ति के अक्षय कोष हैं। जो लोग भगवान श्रीराम के चरण-कमल चिह्नों का ध्यान एवं चिंतन करते हैं, उनका जीवन धन्य, पुण्यायी, सफल तथा सार्थक हो जाता है। भगवान के चरणारविन्द की महिमा निराली है। ये चरण चिह्न संत-महात्माओं तथा भक्तों के लिए सदैव सहायक और रक्षक हैं। सनातन धर्म में ध्यान और स्मरण का काफी महत्व है और यही गुण भगवान के प्रति प्रेम, आस्था और भक्ति को व्यक्त करते हैं। भगवान श्रीराम के स्मरण के साथ ही यदि उनके चरण चिह्नों का भी ध्यान कर लिया जाए तो कोई संदेह नहीं कि उनकी कृपा प्राप्त हो जाती है और सभी काम आसान हो जाते हैं।