पूर्वाभास के माध्यम से ईश्वर हमें देते हैं जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं के संकेत

रामचरित मानस में कहा गया है कि दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा॥ मतलब राम राज्य में इन तीनों तरह के संताप नहीं रहते हैं, जबकि आज के युग में दैहिक ताप यानी बीमारियां, दैविक ताप यानी पुण्य कर्मों की कमी से मन की शांति का अभाव और भौतिक ताप यानी बंगला, गाड़ी और वैभवशाली जीवन की वस्तुएं जुटाने की बेचैनी बनी रहती है। वास्तव में आज के दौर में व्यक्ति बाकी सब तो प्राप्त कर लेता है लेकिन यदि उसे दैविक सहयोग मिल जाता है तो उसे बाकी के संतापों से स्वत: ही मुक्ति मिल जाती है। इसीलिए जीवन में यह जानना भी जरूरी है कि हमें दैवीय शक्तियों का सहयोग कितना मिल रहा है और मिल भी रहा है या नहीं। सीधे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि भगवान हमारे साथ है या नहीं, यह सपनों या अन्य संकेतों से हम पता कर सकते हैं।

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पूर्वाभास दैवीय कृपा का बड़ा संकेत

जब आप किसी काम के लिए जा रहे हों या किसी संकट के वक्त आपको यह अहसास या पूर्वाभास हो जाता है कि आपको कुछ नहीं होगा या आपका काम हो ही जाएगा। इसके बाद वैसा ही होता है, जैसा आपने सोचा था, तो तय मानिए आपको भगवान का आशीष या दैवीय शक्तियों की कृपा प्राप्त हो रही है।

यह पूर्वाभास कभी भी किसी भी संकेत के रूप में हो जाता है। ज्यादातर सपनों से होना माना जाता है।

परिवार में प्रसन्नता यानी भगवान खुश

दैवीय शक्ति की कृपा का एक बड़ा संकेत तो यही है कि यदि आपकी पत्नी, पुत्र-पुत्री और आपके सभी परिजन आपकी बात मानते हैं। वे सभी आपसे प्यार करते हैं एवं आप भी उनसे प्यार कर रहे हैं। ऐसा प्रेम से परिपूर्ण यदि आपका परिवार है तो आप समझ जाइए कि दैवीय शक्तियां आपसे खुश हैं।

प्रकाश पुंज के रूप में भी आती है कृपा

इसी तरह जब आप पूजा-पाठ में लगे हों, तब आपको लगे कि अचानक सुहानी हवा का झोंका या प्रकाश पुंज आ गया है और फिर आपके शरीर में सिहरन दौड़ पड़े। आपको लगे कि ऐसा तो पहली बार ही हुआ है, आप परेशान न हों, यह आप पर ईश्वर की कृपा का संकेत है।

ब्रह्म मुहूर्त में जागना

माना जाता है कि यदि आपकी आंखें रात्रि 3 से सुबह 5 बजे के बीच यानी ब्रह्म मुहूर्त में स्वत: ही खुल जाती हैं तो यह दैवीय शक्तियों की कृपा का ही परिणाम है। यही तो वह समय होता है जब देव जागरण होता है। यदि आप बचपन से लेकर युवावस्था तक इस समय में रोज जागते हैं तो तय मानिए कि दैवीय शक्तियां आपके माध्यम से समाज, राष्ट्र और परिवार के लिए कुछ बड़ा कार्य करवाना चाहती हैं। यह भी हो सकता है कि दैवीय शक्ति आपको एक अच्छी आत्मा समझकर यह संकेत दे रही है कि अब उठ जाओ। ये शक्तियां यह बताती हैं कि यह जीवन सोने के लिए नहीं, दुनिया में बहुत कुछ करने के लिए है। इसे अमृत वेला भी कहते हैं। माना जाता है कि दुनिया के मात्र 13 प्रतिशत लोग ही ब्रह्म मुहूर्त में जागते हैं। कई बार तो शुद्ध आत्मा और पवित्र मन वाले लोगों के सपनों में आकर भी देवी- देवता दर्शन देते हैं।

बुराइयों से बचें, नकारात्मकता त्यागें

सच यह भी है कि दैवीय शक्तियां केवल उसकी मदद करती हैं, जो दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहता है। जो व्यक्ति बुराइयों से दूर रहता है और नकारात्मक विचारों को पास नहीं फटकने देता, जो नियमित अपने इष्ट-देव की आराधना करता है या पुण्य के काम में लगा हुआ है, उसे दैवीय आशीष सहज ही मिल जाता है। इसके लिए आपको इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि आप सद्मार्ग पर रहें और यह मानकर चलें कि आप जो भी कार्य कर रहे हैं उसे भगवान देख रहा है।