\पड़ोसी देश नेपाल के धनुषा जिले के धनुषधाम नगर निगम इलाके में दुर्लभ सुनहरे रंग का कछुआ मिला है। सुनहरे रंग का होने के कारण यह कछुआ इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। सोशल मीडिया पर कछुए की तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही है। कछुआ किसी सोने के गोले की तरह दिखाई दे रहा है।
विशेषज्ञों की मानें तो ‘जेनेटिक म्यूटेशन’ की वजह से इस कछुए का रंग सुनहरा हो गया है। इस स्थिति को ‘क्रोमैटिक ल्यूसिज़्म’ कहते है। यह वह स्थिति होती है जब शरीर को रंग देने वाला तत्व ही काम नहीं करता। इस कारण शरीर का रंग सफ़ेद या हल्का पीला हो जाता है। नेपाल में मिले कछुए में पीला रंग ज्यादा हो गया है, इस कारण वह सुनहरे रंग का दिखाई दे रहा है। नेपाल में इस तरह का यह पहला मामला है जबकि दुनिया में पांचवां।
वहीं कई लोग इसे धार्मिक आस्था से भी जोड़ रहे हैं। लोग कछुए को भगवान विष्णु का अवतार भी बता रहे हैं। नेपाल के लोगों का मानना है कि भगवान विष्णु ने पृथ्वी को बचाने के लिए कछुआ बनकर इस धरती पर कदम रखा है। कई लोग दूर-दूर से सुनहरे कछुए के दर्शन करने के लिए आ रहे हैं।
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने कुर्म यानी कछुए का अवतार लेकर देवताओं की मदद की थी। प्रसंग है कि जब देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र मंथन प्रारंभ किया तो कुछ समय बाद ही मंद्राचल पर्वत समुद्र में धंसने लगा। इस कारण समुद्र मंथन करना असंभव लग रहा था। ऐसे में भगवान् विष्णु ने कछुए का अवतार लिया और मंद्राचल पर्वत के नीचे आसीन हो गए। इससे मंद्राचल पर्वत भगवान विष्णु की पीठ पर स्थापित हो गया। जिसके बाद पुनः समुद्र मंथन आरम्भ हुआ और अंततः देवताओं को अमृत की प्राप्ति हुई।