भगवान विष्णु का एक मंदिर, जिसका वर्णन है ब्रह्माण्ड पुराण में

ये मंदिरों का देश है, यहाँ धर्म और आध्यात्म जन जीवन में शामिल है. ऐसे ऐसे मंदिर हैं, जिन्हें देखकर यही आभास होता है, कि हमारी भारतीय संस्कृति और शिल्पकला प्राचीन काल से ही कितनी वैभवशाली रही है. ऐसा ही एक अनोखा मंदिर बना है तमिलनाडु के मदुरै में. आठ हिस्सों में बने हुए इस मंदिर का शिखर ऐसा है, जिसकी परछाई भी धरती पर नहीं पड़ती. इस मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति बैठी हुई मुद्रा में है. भगवान विष्णु की 6 फीट ऊंची मूर्ति देखने में बहुत ही दिव्य और भव्य लगती है. मान्यता के अनुसार 12 वीं से 14 वीं शताब्दी के बीच इस मंदिर को मूल रूप से पंड्या राजवंश के राजाओं ने बनाया था. बाद में विजयनगर और मदुरै के राजाओं ने 16 वीं शताब्दी में मंदिर के मुख्य हॉल और अन्य मंदिरों का निर्माण करवाया था.

तमिलनाडु के मदुरै शहर को वैसे भी भारत में प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है. यहां भगवान विष्णु को समर्पित कूडल अझगर मंदिर स्थित है. यह दक्षिण भारत के प्रमुख प्राचीन मंदिरों में से एक है. यहां मिले शिलालेखों के अनुसार ये मंदिर करीब 600 सालों से ज्यादा पुराना है. मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की बैठी हुई, खड़ी और लेटी हुई मुद्रा में अलग अलग मूर्तियां हैं, जो कि ग्रेनाइट से बनी हुई हैं. बैठी हुई मुद्रा में स्थापित प्रतिमा 6 फीट ऊंची है. मंदिर के अंदर लकड़ी की नक्काशी भी की गई है, मंदिर के चारों ओर एक ग्रेनाइट दीवार है, जो इसके अंदर के सभी मंदिरों को घेरे हुए है. मंदिर में ऋषियों, दशावतार, लक्ष्मी नरसिम्हा, लक्ष्मी नारायण और नारायणमूर्ति के चित्र हैं. लेकिन इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि मंदिर के शिखर के परछाई जमीन पर नहीं पड़ती है.
यह मंदिर भगवान विष्णु के 108 दिव्य स्थानों में से एक है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर भगवान विष्णु कूडल अझगर के रूप में राक्षस सोमका को मारने के लिए प्रकट हुए थे. ब्रह्मांड पुराण के सातवें अध्याय में भी इस स्थान का वर्णन मिलता है.