कौन है हनुमानजी का गुरु, जिसके दिए ज्ञान से बन गए वो श्रीराम के सबसे प्रिय भक्त

5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है, जिसे अषाढ़ मास की पूर्णिमा भी कहते हैं, इसके बाद ही श्रावण की शुरुआत हो जाती है| गुरु पूर्णिमा को सनातन संस्कृति में बहुत उत्साह से मनाया जाता है|

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इस बार गुरु पूर्णिमा और रविवार के दिन होगी, और इसी वजह से खासतौर पर इस दिन सूर्यदेव की भी आराधना करना चाहिए, क्योंकि रविवार उनका ही दिन होता है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी ने भी सूर्यदेव से वेदों और शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया था|

कहा जाता है कि, हनुमानजी के माता पिता केसरी और अंजनी ने अपने पुत्र को ज्ञान प्राप्त करने के लिए सूर्यदेव के पास भेजा था, और हनुमानजी ने सूर्यदेव के पास जाकर उनसे गुरु बनने की प्रार्थना की| इस पर सूर्यदेव ने कहा, मैं तो निरंतर चलायमान हूँ, एक स्थान पर रुकना मेरे लिए संभव ही नहीं, फिर मैं, तुम्हे ज्ञान कैसे दे सकता हूँ?

तब हनुमान जी ने उनसे कहा, आप अपनी गति को कम मत कीजिये, मैं आपके साथ चलते चलते ही ज्ञान प्राप्त कर लूँगा| सूर्यदेव भी इस बात पर सहमत हो गए, उसके बाद इसी प्रक्रिया से हनुमानजी ने सूर्यदेव से शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया, जिसके प्रभाव से आगे जाकर वो श्रीराम के परम भक्त बनकर उनके बताये हर कार्य को अपने लिए आदेश मानकर सम्पूर्ण किया|

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हनुमानजी जैसा रामभक्त और सेवक बनना आसान नहीं है, जिसने अपना संपूर्ण जीवन अपने प्रभु की भक्ति में समर्पित कर दिया, ये उनके ज्ञान का ही प्रभाव था, जिसकी बदौलत वो मूर्छित पड़े श्रीराम के अनुज लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी के साथ पूरा पहाड़ उठा लाये, ये तेज़ और शक्ति उन्हें, अपने गुरु द्वारा प्राप्त ज्ञान से मिला, जिसने उन्हें अमर कर दिया|

इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन सूर्यदेव के साथ हनुमान जी की भी स्तुति करना चाहिए, और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए, इसका विशेष फल प्राप्त होता है|