ज्योर्तेश्वर महादेव मंदिर, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. बद्रीनाथ के धर्माधिकारी भुवनचंद उनियाल ने जानकारी दी है कि शंकराचार्यजी ने देश में चार मठों की स्थापना की थी. इन चार मठों के नाम इस प्रकार है १.ज्योतिर्मठ, २. श्रृंगेरी मठ, ३. गोवर्धन मठ, ४. शारदा मठ . कहा जाता है कि इनमें से सबसे पहले योर्तिमठ बनाया गया था.
मंदिर में स्थित है प्राचीन कल्पवृक्ष जोशीमठ में है ज्योर्तेश्वर महादेव मंदिर.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यही वह स्थान है जहां लगातार पाँच वर्षों तक आदि गुरु शंकराचार्य जी ने तप किया था. जानकारी के अनुसार बद्रीनाथ धाम के कपाट के बंद होने के बाद आदि गुरु शंकराचार्यजी यहीं पर निवास करते थे. कहा जाता है कि ज्योर्तेश्वर महादेव मंदिर के पीछे एक पेड़ है जो गुरु जी के समय से स्थित है. आपको बताना चाहेंगे कि इस पेड़ को कल्पवृक्ष के नाम से जाना जाता है . एक विशेष जानकारी देना चाहेंगे कि इस मंदिर में पुजारी उनियाली होते हैं. उनियाल उत्तर भारत की गढ़वाली ब्राह्मण जाति है.यह उत्तराखंड के श्रेष्ठतम ब्राह्मणों में जाने जाते हैं.
सर्दियों के मौसम में नरसिंह मंदिर में होती है बद्रीनाथ की पूजा ठंड के मौसम में चार धाम के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. जानकारी के अनुसार, जब बद्रीनाथ धाम के दरवाजे बंद रहते हैं तब जोशीमठ के नरसिंह मंदिर की गद्दी पर भगवान बद्रीनाथ विराजित होते हैं. यहां पर भगवान बद्रीनाथ को पूजा जाता है. और यह सिलसिला तब तक चलता है जबतक बद्रीनाथ धाम फिर से खुल नहीं जाते . अर्थात श्रद्धालु सालभर नरसिंह मदिंर में आकर भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं. आपको बता दें कि यह टूरिस्ट स्पॉट औली के पास स्थित है.
इस समय उत्तराखंड में भारी बर्फबारी हो रही है. और जोशीमठ में स्थित भोलेनाथ के प्रसिद्ध मंदिर में बाबा बर्फानी अपना नया अवतार ले चुके हैं. यहां देखें फोटो…