हमारे सनातन धर्म में जिस तरह से पूजा-पाठ की विधि होती है, उसी प्रकार से पूजा घर में भगवान को विराजित कराने के भी नियम होते हैं। यदि भगवान की मूर्तियों को पूरी गरिमा और सम्मान के साथ विराजित नहीं कराया गया तो हमारी पूजा कैसे सफल हो सकती है? वैसे हम सब के घर में पूजा घर का खास स्थान होता है। जहां ईष्ट देव सहित अनेक मूर्तियां होती हैं, जिनकी हम भक्तिभाव से पूजा करते हैं। कहा जाता है सही तरीके से पूजा की जाए तो घर में खुशियां आती हैं और शांति रहती है।
पूजा-पाठ करते समय इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि मूर्ति खंडित या अनघड़ न हो, क्योंकि मूर्ति का मतलब ही होता है जिसमें भगवान की मूरत दिखे। खंडित मूर्तियों की पूजा से घर में नकारात्मकता आती है। वास्तु शास्त्र भी इससे मना करता है। पूजा-अर्चना में ऐसी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने की जरूरत है। पूजा के दौरान ध्यान करने से तनाव दूर होता है, यदि मूर्ति खंडित होगी तो हम ध्यान नहीं लगा पाएंगे। ऐसा क्यों होता है इसका सीधा- सा जवाब है खंडित मूर्ति के सामने जब हम ध्यान लगाने बैठेंगे तो नजर बार-बार उसके टूटे हिस्से पर जाएगी। इसलिए खंडित मूर्ति की पूजा से पुण्य नहीं मिलता। कहा जाता है कि केवल शिवलिंग को ही खंडित होने पर भी पूजा जा सकता है, क्योंकि भगवान शंकर को निराकार माना गया है।
हमारा मनोविज्ञान ही ऐसा है कि कोई भी अधूरी वस्तु हमें पसंद नहीं आतीं। हम चाहकर भी उससे अपने को जोड़ नहीं पाते, शायद यही कारण है कि खंडित मूर्ति की पूजा करने से मना किया गया है। अक्सर लोगों के मन में दुविधा रहती है कि मूर्ति खंडित हो गई है, अब क्या होगा? यह भय सताता है कि कोई अशुभ संकेत तो नहीं। यह भी माना जाता है मूर्ति का हमारी किसी लापरवाही से या फिर खुद ही खंडित होना इस बात सूचक है कि कोई आपदा आने वाली थी, वह टल गई है या उसका कुप्रभाव मूर्ति ने ले लिया है। ऐसी कोई बात नहीं है, इसमें डरने जैसी कोई बात नहीं। मूर्ति अगर फोटो फ्रेम में है और वह टूट जाती है उसको फ्रेम और कांच से अलग कर फोटो का विसर्जन करें। यह भी ध्यान रखें कि खंडित मूर्ति या फोटो किसी चौराहे पर न रखें।
मूर्ति यदि खंडित हो जाए तो उसे पूजा में शामिल न करें बल्कि विसर्जित कर दें। बहती नदी में प्रवाहित करना अच्छा माना गया है। घर में ज्यादा बड़ी मूर्तियों को नहीं रखा जाता। घर में शिवलिंग नहीं रखना चाहिए, क्योंकि शिवलिंग बहुत संवेदनशील होता है। भगवान गणेश की मूर्ति अवश्य रखें, लेकिन ध्यान रखें कि किसी भी भगवान की तीन मूर्तियां घर में न हो। भगवान की मूर्तियों को एक-दूसरे से कम से कम एक इंच की दूरी पर रखें।
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजास्थल पर में एक ही देवता की दो मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। ऐसा रखने से घर में विवाद और झगड़ा बढ़ता है। आपस में तनाव रहता है। यदि आपके घर में एक ही भगवान की दो मूर्तियां हैं तो दोनों को आमने-सामने रखें। मंदिर में किसी भी ऐसी मूर्ति या देवता के दर्शन नहीं करने चाहिए जिसमें वे युद्ध कर रहे हों या किसी का अंत कर रहे हों। वास्तु के अनुसार इससे इंसान का स्वभाव गुस्से वाला और हिंसक होता है।
मूर्तियों के चेहरे शांत और हाथ आशीर्वाद देने की मुद्रा में होना चाहिए। उदास व गंभीर मुद्रा वाली मूर्तियां भी गलत असर डालती हैं। इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार भगवान की पीठ दिखना शुभ नहीं होता है। कई बार हम मूर्तियों को इस तरह से रखते हैं जिससे एक तरफ से उनकी पीठ दिख रही होती है। मूर्ति हमारे धर्म में खास स्थान रखती हैं पर जरूरी है कि उसकी बारीकियों का ध्यान रखा जाए। इसके बिना हमें वह लाभ नहीं मिल पाएगा, जिसकी हम उम्मीद लगाए रहते हैं।