साक्षात ईश्वर का प्रवेशद्वार है हरिद्वार, जहां माँ गंगा पखारती हैं भगवान विष्णु के चरण

आस्था और विश्वास के देश भारत में पूजन और पवित्रता का खास महत्व है। यही वजह है कि यहां तीर्थ स्थानों की कोई कमी नहीं है और हर स्थान का एक विशेष महत्व भी है। देश में सप्त सलिला (नदियां) की तरह ही सप्त पुरियां (नगर) हैं जिन्हें सात पवित्र नगरों में गिना जाता है। पवित्र नदियों में हरिद्वार का विशेष महत्व है। हरिद्वार का शाब्दिक अर्थ भी देखें तो हरि का द्वार होता है, मतलब यहां स्नान- दान और पिंड कर्म करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और भगवान उसे अपनी शरण में ले लेते हैं।

ImageSource

हरिद्वार का शांत माहौल व्यक्ति को भक्ति की ओर ले जाता है। जहां पाप मिटानी वाली पवित्र नदी गंगा बहती है, जिसमें हर वर्ष कई श्रद्धालु स्नान-दान करने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। गंगा नदी में स्नान करना मोक्ष को पाने की तरह माना जाता हैं। यह गंगा नदी के तट पर स्थित हर की पौड़ी का बहुत धार्मिक महत्व है। हर की पौड़ी अर्थात भगवान शिव के चरण, माना जाता है की वैदिक काल में भगवान शिव इस घाट पर आए थे। वर्तमान समय में जो हर की पौड़ी घाट है, उसका सबसे पहले निर्माण पहली सदी में राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भरथरी की याद में करवाया था, भरथरी लंबे समय तक गंगा किनारे ध्यान करते रहे थे ।

हरिद्वार को ईश्वर का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है, जिसे मायापुरी, कपिला, गंगाधर के रूप में भी जाना जाता है। भगवान शिव और भगवान विष्णु के भक्त इसे क्रमश: हरद्वार और हरिद्वार नाम से पुकारते हैें। यह देवभूमि चार धाम अर्थात बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जाने के लिए प्रवेश का प्रमुख स्थान है। कहा जाता है कि महान राजा भगीरथ गंगा नदी को अपने पूर्वजों को मुक्ति के लिए स्वर्ग से पृथ्वी तक लाए थे। यह भी कहा जाता है कि हरिद्वार को तीन देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपनी उपस्थिति से पवित्र किया है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने हर की पौड़ी की ऊपरी दीवार में पत्थर पर अपना चरण चिह्न अंकित किए हैं, जहां पवित्र गंगा हर समय उसे छूती है। इस तरह पवित्र गंगा भगवान विष्णु के चरण पखारती दिखाई देती है।

हरिद्वार उन चार पवित्र स्थानों में से एक है, जहां हर छह साल बाद अर्ध कुंभ और हर बारह वर्ष बाद कुंभ मेला लगता है। ऐसा कहा जाता है कि कुंभ के दौरान अमृत की बूंदें हर की पौड़ी के ब्रह्मकुंड में गिरती हैं, इसलिए माना जाता है कि इस विशेष दिन में ब्रह्मकुंड में किया स्नान बहुत शुभ होता है। हरिद्वार कला, विज्ञान और संस्कृति को सीखने के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है। हरिद्वार की पहचाना आयुर्वेदिक दवाओं और हर्बल उपचारों के साथ ही अपनी अनूठी गुरुकुल विद्यालय, प्राकृतिक सुंदरता और हरियाली के लिए भी है।

आज हरिद्वार का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं है बल्कि यह एक आधुनिक सभ्यता का मंदिर भी है। यहां कई बड़े उद्योग चल रहे हैं। रूड़की विश्वविद्यालय विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में विश्व स्तर का पुराना और प्रतिष्ठित संस्थान है। जिले का एक अन्य प्रमुख विश्वविद्यालय अर्थात गुरुकुल अपने विशाल परिसर के साथ पारंपरिक एवं आधुनिक शिक्षा दे रहे हैं। इस तरह हरिद्वार सात पवित्र नगरी में होने के कारण बरसों से आस्था का केंद्र बना हुआ है।