हेमिस गोम्पा मेला-लंबे सींग और मुखौटा पहनकर होता है नृत्य, 12 साल में ‌देख पाते हैं लोग

भारत की पूरी दुनिया में पहचान ऐसे देश के रूप में होती है जहां सभी धर्मों के लोग निवास करते हैं। हमारे यहां रोजाना देश के किसी न किसी हिस्से में त्योहार मनाया जाता है। भारत में अलग-अलग धर्मों के लोग बिना किसी डर के अपने-अपने त्योहार और उत्सव धूम-धाम से मनाते हैं। ऐसा ही एक उत्सव है प्रसिद्ध हेमिस गोम्पा मेला, जो केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में बौद्ध समुदाय द्वारा आयोजित किया जाता है। हेमिस गोम्पा मेला लद्दाख के सबसे बड़े बोद्ध मठ हेमिस गोंपा में आयोजित किया जाता है।

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हेमिस गोम्पा मेला हर साल बौद्धिक कैलंडर के अनुसार पांचवे महीने में मनाया जाता है। हेमिस गोम्पा मेले का सबसे बड़ा आकर्षण है स्थानीय लोगों द्वारा मुखौटा पहनकर किए जाने वाला नृत्य। मेले में चार पैर के करताल, ढोल, छोटी तुरही सहित अन्य वाद्य यंत्र की मदद से संगीतकार संगीत की प्रस्तुति देते हैं। इस दौरान स्थानीय लोग लंबे सींग और मुखौटा पहनकर नृत्य करते हैं। स्थानीय नृत्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। इसके लिए अलावा मेले में सुंदर हस्तकलाओं की भी प्रदर्शनी होती है। हेमिस गोम्पा मेले में आकर स्थानीय परम्परा को करीब से जानने का मौका मिलता है।

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हेमिस गोम्पा मेले को लेकर बौद्ध अनुयायियों की मान्यता है कि इस मेले से अच्छे स्वास्थ्य और धार्मिक शक्ति को बढ़ावा मिलता है। यह मेला भगवान पद्मसंभव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान पद्मसंभव के जीवन का एक ही लक्ष्य था लोगों को अध्यात्म से जोड़ने का। यहां पर सबसे बड़ी थका तस्वीर भी हैं, जिसे 12 सालों में एक बार आम लोगों के दर्शन के लिए प्रदर्शित किया जाता है।
बता दे कि हेमिस मठ का अस्तित्व सबसे पहले 11वीं शताब्दी में आया था। इसे साल 1962 में लद्दाख के राजा सेंग्गे नंग्याल ने बनवाया था। हेमिस मठ चारों तरफ से पहाड़ के चट्टानों से घिरा हुआ है। मठ के आसपास की खूबसूरती देखने लायक होती है।