पवित्र नगर : भगवान श्रीराम के पूर्वज राजा मनु ने बसाई थी अयोध्या नगरी

हमारे देश में पवित्रता का काफी महत्व है। यहां नदियां, पेड़ और व्यक्ति तो ठीक, नगर भी पवित्र स्थान के रूप में पहचान रखते हैं। शास्त्रों में सात पवित्र पुरियों यानी नगरों में भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या को प्रथम पवित्र नगरों में गिना गया है। हमारे देश की सबसे बड़ी बात यह है कि यहां इतिहास और धर्म शास्त्रों में कही बातों में बहुत समानता मिलती है। मतलब, यदि शास्त्रों में कोई प्रेरणा देने वाली कथा मिलती है, तो उस स्थान पर उसके सबूत भी मिल जाते हैं।

भारत की प्राचीन नगरी अयोध्या तो सप्त पुरियों में शामिल है ही, इसके साथ मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अंवतिका और द्वारिका को शामिल किया गया है। ये सभी सातों नगर मोक्ष देने वाले और तीर्थ स्थल हैं। चार वेदों में से पहले अथर्ववेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर कहा गया है। इसकी स्थापना का काल ई.पू. 2200 के आसपास होने का अनुमान है।

उत्तर भारत में कौशल, कपिलवस्तु, वैशाली और मिथिला आदि में अयोध्या के इक्ष्वाकु वंश के शासकों ने ही राज्य कायम किए थे। इस वंश में भगवान रामचंद्रजी के पिता दशरथ 63वें शासक रहे हैं। वाल्मीकि रामायण के बालकांड में पता चलता है कि अयोध्या 12 योजन-लंबी और 3 योजन चौड़ी थी।

इस नगर को भगवान राम के पूर्वज राजा मनु ने बसाया था और उन्होंने ही इसे ‘अयोध्या’ नाम दिया, जिसका अर्थ होता है अ-युद्ध यानी ‘जहां कभी युद्ध नहीं होता। अयोध्या को अवध भी कहा जाता है।

राम जन्मभूमि स्थल पर पिछले दिनों यानी 5 अगस्त को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन कर दिया है। अब जल्द ही मंदिर निर्माण के लिए नींव की खुदाई का काम शुरू होने जा रहा है।

नया मंदिर बनने तक भगवान रामलला की मूर्ति को जन्मस्थान के पास अस्थाई मंदिर में विराजित कराया गया है। अयोघ्या के प्राचीन मंदिरों में सीतारसोई तथा हनुमानगढ़ी मुख्य हैं। कुछ मंदिर 18वीं तथा 19वीं शताब्दी में बने, जिनमें कनकभवन, नागेश्वरनाथ तथा दर्शनसिंह मंदिर हैं।

कहा जाता है कि अयोध्या में सरयू नदी में स्नान से पहले लोगों को हनुमानजी से आज्ञा लेनी होती है। यह मंदिर अयोध्या में एक टीले पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इसके बाद पवनपुत्र हनुमानजी की 6 इंच की मूर्ति के दर्शन होते हैं। मुख्य मंदिर में बाल हनुमानजी, अपनी मां अंजनी की गोद में विराजमान हैं।

अयोध्या नगर के बीचोबीच भगवान श्रीराम का बहुत पुराना स्थान है, जिसे राघवजी का मंदिर कहते हैं। इस मंदिर में भगवान राघवजी अकेले ही विराजमान हैं। सरयू जी में स्नान करने के बाद राघवजी के दर्शन किए जाते हैं।

इस तरह पवित्र नगरी और सनातन धर्म का बड़ा तीर्थ होने के कारण अयोध्या में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यह तीर्थ नगरी युगों – युगों से श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रही है। यहां आकर लोग अपने भगवान श्रीराम से जुड़ी निशानियों के दर्शन कर खुद को धन्य समझते हैं।