एक अद्भुत मंदिर जहां आज भी 1000 साल पुरानी परम्परा से होती है सूर्य देव की पूजा

भारत बहुत महान देश है. अगर आप भारतीय हैं तो आपको इस बात पर गर्व होना चाहिए, क्योंकि यहां पर अलग अलग जातियां, धर्म के लोग एक साथ रहते हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने वाले हैं जिसके बारे में शायद आप न जानते हों.

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हमारे देश में भगवान सूर्य का एक ऐसा मंदिर है जहां पर उसी विधि विधान से पूजा होती है जैसे 1000 साल पहले हुआ करती थी. आंध्रप्रदेश में श्रीकाकुलम नाम का जिला है जहां पर अरसावल्ली नाम का गांव है. यहां पर सूर्य देव का मंदिर है. इस मंदिर की एक विशेष बात यह है कि यह लगभग 1300 साल पुराना मंदिर है. पद्म पुराण के अनुसार यहां पर कश्यप ऋषि ने भगवान सूर्य की मूर्ति को स्थाापित करने के बाद पूजा की थी. तब से लेकर आजतक यहां उसी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की जाती है.

आंखो की परेशानी व स्किन की बिमारियों से मिलता है छुटकारा
मान्यता है कि इस सूर्य नारायण मंदिर में जो भी व्यक्ति 43 दिनों तक सूर्य नमस्कार करता है तो उसे आखों और स्किन से जुड़ी बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है.

इस मंदिर के साथ भगवान की पत्नियों को भी पूजा जाता है…
इस मंदिर में एक कमल का फूल है जो काले ग्रेनाइट पत्थर से बना है. जानकारी के अनुसार इस पर भगवान आदित्य की मूर्ति स्थापित है जो 5 फीट की है. यहां पर भगवान सूरज की दोनों पत्नी उषा और छाया की पूजा होती है. इस विषय पर और एक जानकारी देना चाहेंगे कि भगवान आदित्य की मूर्ति का मुकुट शेषनाग के फन का बना हुआ है.

बहुत पुरानी है मंदिर की मूर्ति
Archaeology Survey Of India का कहना है कि इस मंदिर के पत्थरों को देख साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये बहुत पुराना मंदिर है . इसके साथ ही पुरात्तव विभाग यह भी बताते हैं कि वैदिक विद्यार्थियों के लिए स्कूल बनाने के लिए जमीन दान हुई थी. कहा जाता है कि ये जमीन राजा देवेंद्र वर्मा के उत्तराधिकारियों ने करीब 11वीं शताब्दी में दान की थी.

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पंचदेव पूजा
यहां का यह मंदिर बेहद खास है क्योंकि सौर, शैव, शाक्त, वैष्णव और गाणपत्य संप्रदाय के लोग भी यहां पर पूजा-अर्चना करते हैं. यही नहीं यहां पर भगवान सूर्य की पूजा के साथ साथ भगवान विष्णु, गणेश और शिवजी के साथ अम्बिका के रूप में देवी दुर्गा की भी पूजा की जाती है.

इस सू्र्य मंदिर की विशेषता…
साल में दो बार यानी मार्च और सितंबर के महीनों में भगवान सूर्य की किरणें सीधे भगवान के चरणों पर पड़ती है. ये किरणें 5 मुख्य द्वारों से होकर गुजरती है.