महाभारत की बड़ी सीख, रिश्तों में टकराव की वजह केवल अहम

ये बात हम सब जानते हैं कि महाभारत में पांडवों की जीत और कौरवों की हार हुई थी. पर क्या आप बता सकते हैं कि हार का कारण क्या था? इस बात को परिवार प्रबंधन की दृष्टि से देखा जाए तो महाभारत में कौरवों के परिवार में एकजुटता नहीं थी. परिवार में कोई भी किसी से राय नहीं लेता था. आपको मालूम होगा कि धृतराष्ट्र के ज्यादातर निर्णय दुर्योधन लिया करते थे. और उसमें उनका केवल स्वार्थ ही दिखाई देता था. परिवार के अन्य सदस्यों से किसी भी बात पर सलाह नहीं लेते थे. भीष्म और विदुर सिंहासन के लिए निष्ठावान थे और इस कारण वे इनका विरोध भी नहीं कर पाते थे.

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और इसका परिणाम बहुत लोगों को भुगतना पड़ा. पूरा परिवार बिखर सा गया. महाभारत युद्ध के दौरान वे सभी एक तो थे पर मन से जुदा थे. और इधर पांडवों की बात करें तो वे हर विषय पर एक दूसरे की सलाह लिया करते थे. परिवार के हर सदस्य की बात को महत्व दिया जाता था. और यही कारण था कि उनके परिणाम भी कौरवों से बेहतर साबित हुए.

परिवार किसी एक सदस्य से नहीं चलता बल्कि हर व्यक्ति की अपनी खूबी होती है. कोई पत्थर की तरह दृढ़ होता है, तो कोई फूल की तरह नरम होता है. अगर परिवार के वरिष्ठ लोग अपने अन्य सदस्य की सलाह पर विचार विमर्श नहीं करेंगे तो वह परिवार तरक्की की ओर नहीं बढ़ सकता.

उदहारण के तौर पर यही देख लीजिए कि किसी भी कार्य को सफल बनाने के लिए अच्छे लोगों के साथ विचार विमर्श करने के बाद ही सफलता का रास्ता खुलता है. कोई भी मंजिल अकेले हासिल नहीं की जा सकती. अर्थात् लोगों के विचार को सुन कर और फिर उन पर मनन करने के बाद अमल में लाएं तब मंजिल की और बढ़ा जा सकता है.

परिवार में सदस्यों की एक-दूसरे के प्रति समझ होना बेहद जरूरी है. कई घरों में सालों तक शिकायत रहती है कि उम्र बीत गई पर समझ नहीं पाए. यदि किसी को समझना है, तो बस दो सरल से उपाय कीजिए. एक, निश्चित दूरी बनाकर रखिए और दूसरा काम “निर्णायक न बनें”. माना जाता है कि घर के सदस्यों के प्रति जब भी हम निर्णायक बनते हैं, हमारे भीतर तुलना का भाव आ जाता है. घर में उम्र, पद, रिश्तों में विभिन्नता, भेद होने के बाद भी एक जगह सब समान होते हैं.

अर्थात् निरीक्षक का भाव मन में रखिए. यह साक्षी-भाव आपकी समझने की क्षमता को बढ़ाएगा और तब आप औरों को भी समझ पाएंगे. और फिर समस्या के समाधान भी दे पाएंगे. उसके बाद आपकी सलाह भी हितकारी लगेगी, हस्तक्षेप नहीं.