मात्र 25 दिनों के भीतर एक हज़ार करोड़ से ज्यादा दान मिलने का अर्थ है, व्याकुल हैं रामभक्त

पूरी दुनिया को अब बस अपने प्रभु राम के भव्य मंदिर के बनने की प्रतीक्षा है. महाभियान चल रहा है. रामराज्य का प्रतीक है ये, अयोध्या में श्रीराम का मंदिर निर्माण बहुत ही भव्य तरीके से चल रहा है. इस मंदिर के बनने में कहीं कोई कसर बाकी नहीं रहे, और आने वालीं सदियों और पीढ़ियों के लिए ये मंदिर मिसाल बन जाए, शासन और प्रशासन की ऐसी ही तैयारी है. इसके लिए निधि संग्रह का अभियान पूरी देश और दुनिया में चलाया जा रहा है. आने वाली 28 फरवरी तक ये अभियान ऐसे ही चलता रहेगा. और मात्र 25 दिनों के अन्दर 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का दान मिलना यही साबित करता है, कि रामभक्त अपने आराध्य का मंदिर देखने के लिए कितने व्याकुल हैं.

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ये रामभक्तों की तपस्या का फल है. उस संघर्ष का फल है, जो पांच सदियों से चल रहा था, ये किसी अहम् की लड़ाई नहीं थी, किसी वर्चस्व की लड़ाई नहीं थी, और ना अधिकार की लड़ाई थी. क्योंकि उनका अधिकार तो समस्त ब्रह्माण्ड पर है, और हर इंसान के जीवन पर है. ये तो तो बस प्रभु राम के अपने ही घर आने की बात थी. उनके भक्त उन्हें लाने के लिए दिन पांच सौ सालों से प्रतीक्षा कर रहे थे, संघर्ष कर रहे थे, अपना जीवन भी झोंक दिया था, परिवार भी भूल गए थे, उन्हें तो बस अपने श्रीराम दिख रहे थे.

सदियाँ बीत गईं, तरस गए थे कान, वो शंखनाद सुनने लिए. जिसमें गूँज हो रामराज्य की. पर अब सब होगा. शंखनाद भी होगा, पूजा भी होगी, हवन भी होगा, और दीपोत्सव भी. अपने घर में, अपने मंदिर में. सबके ह्रदय में तो वो हमेशा ही रहते हैं. पर आज हम सबके निवेदन पर वो अपने घर में आयेंगे. जो हमारे लिए होगा भव्य श्रीराम मंदिर. वही घर जहाँ उनका जन्म हुआ, जहाँ उनका बचपन बीता, ये उनकी वही जन्मभूमि है. और अब वो हमेशा यहीं रहेंगे.

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एक कहावत है, ‘अंत भला तो सब भला.’ तो यही हुआ, संघर्ष और तपस्या का आज अंत हुआ, और शुभारम्भ होने जा रहा है उस महान युग का, जिसे रामजी के भक्त सदैव देखना चाहते थे. तो चलिए बातें तन मन से रंग जाते हैं उस रंग में, जिसमें हमारे आराध्य प्रभु श्रीराम हैं. और अनंतकाल तक वही रहेंगे.