रामायण के हनुमानजी, दारासिंह जी ने कुश्ती के विश्व चैम्पियन को उठाकर फेंक दिया था रिंग के बाहर

धारावाहिक रामायण में अभिनय करने वाले हर अभिनेता और अभिनेत्री ने दर्शकों के दिलो दिमाग पर ऐसा असर किया कि, वो हमेशा के लिए उनके जेहन में अमर हो गए. वाकई ये धारावाहिक हर लिहाज से बहुत लाजवाब था.

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इस धारावाहिक की कास्टिंग में भी निर्माता निर्देशक रामानंद सागर ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी, बल्कि हर किरदार के लिए उसके मुताबिक़ ही कास्टिंग की थी. रामायण में हनुमानजी का किरदार निभाने वाले एक्टर का नाम था दारासिंह, जो पहले से ही जाने माने अभिनेता थे. लेकिन अभिनय से ज्यादा नाम उन्होंने कुश्ती में कमाया था. और उसी की बदौलत वो अभिनय के क्षेत्र में आये थे. पूरी दुनिया में भारत का नाम रौशन करने वाले दारासिंह ने कुश्ती के करीब 500 मुकाबलों में बिना हारे दुनिया में ये साबित कर दिया था कि, उस वक़्त उनसे बड़ा पहलवान इस धरती पे कोई नहीं था.

19 नवम्बर 1928 को पंजाब के अमृतसर में जन्म लेने वाले दारासिंह का पूरा नाम दारा दारा सिंह रंधावा था. दारा सिंह को पहलवानी का शौक बचपन से ही था. उन्होंने सबसे पहले 1947 में सिंगापुर में मलेशियाई चैम्पियन तरलोक सिंह को चारों खाने चित करके अपनी ताकत का लोहा मनवा दिया था.

1954 में दारा सिंह ने भारतीय कुश्ती चैम्पियनशिप का खिताब जीता था. इसके बाद वो कॉमनवेल्थ चैम्पियन भी बने. इस तरह लगातार वो अपनी विजय यात्रा को जारी रखते हुए आगे बढ़े चले जा रहे थे. और उसके बाद उनके जीवन में कुश्ती का वो मुकाबला आया जिसने उन्हें विश्व विजेता बना दिया. उस समय कुश्ती में दुनिया के बादशाह समझे जाने वाले विश्व चैंपियन किंग कांग को कुश्ती में हराकर दारासिंह ने विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम कर लिया. कहा जाता है करीब 200 किलो वजन के किंग कांग को उन्होंने रिंग से उठाकर बाहर फेंक दिया था. और उसके बाद दारा सिंह को ‘रुस्तम ए हिंद’ का दर्जा मिला. और ये सम्मान उनके बाद किसी को नहीं मिल सका.

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36 साल तक लगात्रा पहलवानी करके 500 मुकाबले में विजेता रहने वाले दारासिंह ने सन 1983 में 55 साल की उम्र में कुश्ती से संन्यास ले लिया. सन 2003 से 2009 तक दारा सिंह राज्यसभा के सांसद भी रहे.

पहलवानी के अलावा दारा सिंह ने फिल्मों में भी काम किया और लगभग 115 फिल्मों में काम करने वाले इस नायक को फिल्मों का पहला ही मैन कहा जाता है. 1952 में फिल्म ‘संगदिल’ से उनकी अभिनय यात्रा शुरू हुई और फिल्म जब वी मेट उनकी आखिरी फिल्म थी, जिसमें उन्होंने अभिनेत्री करीना कपूर के दादाजी का किरदार निभाया था.

लेकिन इन सबके बीच अभिनेता के तौर पर उन्हें सबसे बड़ी पहचान मिली धारावाहिक रामयण में हनुमानजी के किरदार से, और उन्होंने भी इतना लाजवाब अभिनय किया कि, दर्शक उन्हें हमेशा याद रखेंगे.