साल का आखिरी हफ्ता शुरू हो गया है. और यह मार्गशीर्ष महीना चल रहा है. इस महीने की आखिरी एकादशी 25 दिसंबर यानी आज शुक्रवार के दिन मनाई जा रही है. आपको बता दें कि एकादशी 24 दिसंबर की रात सवा ग्यारह (11:17) से शुरू हो चुकी है. और यह 01:54 मिनट तक रहेगी. लेकिन व्रत पूरे दिन का ही होगा. शुक्रवार शाम आप विधि विधान से अपने व्रत को खोल सकते हैं. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति एकादशी के अवसर पर व्रत करता है या व्रत रखता है तो उस पर विष्णु जी की कृपा अवश्य होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी इस व्रत को रखता है उसे मोक्ष प्राप्त होता है. और व्रत करने वाले के साथ-साथ पितरों को भी पुण्य मिलता है.
तुलसी और गंगाजल से करें पूजा
काशी के जाने माने ज्योतिषाचार्य का कहना है कि एकादशी का व्रत करने वाले भक्तों को हो सके तो तुलसी, गंगाजल, अक्षत, पुष्प, रोली-चंदन और धूप-दीप से भगवान विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए. और अगर मुमकिन हो तो पुरुषसूक्त, श्रीमद्भागवत गीता और विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें, ऐसा करने से हर प्रकार की परेशानियां खत्म हो जाएंगी.
पूजा करने से पहले ऐसा करें…
प्रात:काल जल्दी उठने के बाद, घर में जिस जगह पर आप पूजा करते हैं उसे साफ कर लें, फिर घर की सफाई करें. और अगर हो सके तो घर में चारों ओर गंगाजल का छिड़काव कर लें. और फिर पूजा करते समय ऊपर बताई गईं सामग्री को पूजा में प्रयोग में लें. और भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते जरूर चढ़ाएं, ऐसा करना लाभदायक होता है.
भगवान विष्णु ने दिया था श्रीमद्भगवतगीता का संदेश
इस एकादशी के दिन गीता जयंती भी मनाई जा रही है. आपको बताना चाहेंगे कि इस एकदाशी को मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता हैं. ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी के दिन या कहें द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. और कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने गीता में अपने परब्रह्म रूप को व्यक्त किया है. और जो भी भक्त इसका पाठ करता है तो उन्हें भगवान विष्णु के दर्शन होते हैं और उन भक्तों की सभी इच्छाएं भगवान विष्णु जी अवश्य पूरी करते हैं.