जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत-अमेरिका आएँगे एक साथ, पीएम मोदी ने की पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को “उच्च गति” पर ठोस कार्रवाई के लिए और बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए पहल की, और कहा कि भारत हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार है. 40 वैश्विक नेताओं की यूएस-होस्टेड वर्चुअल समिट को संबोधित करते हुए मोदी जी ने कहा कि स्थायी जीवन शैली और “बैक टु बेसिक्स” का मुद्धा गंभीरता से ज़रूर लिया जाएगा लेकिन फिलहाल देश COVID 19 से जूझ रहा है इससे पार पाने के बाद ही उन विषयो को गंभीरता से लिया जाएगा. महामारी के इस दौर में हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि क्लाइमेट चेंज का मुद्दा खत्म हो गया है. बल्कि इससे हमें यह संदेश मिलता है कि वक्त रहते हमें संभल जाना चाहिए. विकास की चुनौती के बीच भी हमें इसका ध्यान रखना चाहिए.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि, वह राष्ट्रपति बिडेन के साथ ‘भारत-अमेरिका जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 साझेदारी’ शुरू करने जा रहे हैं. इस शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा, “एक साथ, हम निवेश जुटाने, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने और हरित सहयोग को सक्षम बनाने में मदद करेंगे.”

आगे मोदी जी कहते हैं – क्लाइमेट चेंज के चैलेंज से निपटने के लिए हमें तेजी से और ठोस कदम उठाने होंगे. भारत इस मामले को गंभीरता से ले रहा है. हमने 2030 तक रिन्यूअल एनर्जी का लक्ष्य 450 गीगावाट तय किया है. यह लक्ष्य ऐसे समय पर रखा गया है जब भारत के सामने देश को विकास के रास्ते पर और आगे ले जाना है. इसके बावजूद भारत ने बड़े और मुश्किल फैसले किए हैं.

पीएम मोदी जी यह भी कहते हैं कि हमारा देश कई विकास की चुनौतियों से लड़ रहा है उसके बावजूद स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, वनीकरण, और जैव-विविधता पर “कई साहसिक कदम” उठाए हैं. जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मानवता के लिए ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है. हमें उच्च गति से इस तरह की कार्रवाई की आवश्यकता है. एक बड़े पैमाने पर, और एक वैश्विक दायरे के साथ. हम, भारत में उचित कदम उठा रहे हैं. ”

“एक जलवायु-जिम्मेदार विकासशील देश के रूप में, भारत में विकास का खाका बनाने के लिए भारत भागीदारों का स्वागत करता है. ये अन्य विकासशील देशों की भी मदद कर सकते हैं, जिन्हें हरित वित्त और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों तक सस्ती पहुंच की आवश्यकता है, “. पीएम मोदी ने आगे बात करते हुए कहा, कि मानवता अभी वैश्विक महामारी से जूझ रही है और इससे यह पता लगता है कि जलवायु परिवर्तन का खतरा अभी भी बना हुआ है.”