रामानंद सागर द्वारा बनाये गए धारावाहिक रामायण में काम करने वाले हर कलाकार ने दर्शकों के दिलों में ख़ास जगह बना ली थी. और वैसे भी रामायण के हर पात्र की कोई ना कोई विशेषता ज़रूर थी. रामजी और उनके भाइयों के अलावा सीताजी, बजरंगवली ये सब किरदार निभाने वाले कलाकार तो प्रसिद्ध हो ही गए, साथ में जिसने भी बाकी की अहम भूमिकाएं निभाईं थी, उनकी भी विशेष पहचान बन गई, और ये कलाकार सब अपने वास्तविक स्वरूप से ज्यादा उस किरदार के रूप में पहचाने जाने लगे, जिनकी भूमिकाएं उन्होंने निभाईं थी, और उन सबमे एक अहम किरदार था लंकापति रावण का.
रावण की भूमिका गुजराती फिल्मों के मशहूर अभिनेता अरविन्द त्रिवेदी ने निभाई थी, कहते हैं, वो अपने इस किरदार में इतने ज्यादा प्रभावी लगे थे कि, लोग उन्हें वाकई रावण ही मानने लगे थे. लेकिन असल जीवन में अरविन्द त्रिवेदी बहुत ही धार्मिक इंसान हैं.
40 साल तक गुजराती सिनेमा में अभिनेता के तौर पे काम करने वाले अरविन्द जी, 1991 में गुजरात के साबरकाठा से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बनकर संसद में पहुंचे, लेकिन एक अभिनेता को राजनीति ज्यादा रास नहीं आती, और फिर से वो अभिनय की अपनी दुनियां में वापस लौटकर आ गए.
अपनी दमदार संवाद अदायगी के माध्यम से लोगों दिलों पे राज करने वाले अरविन्दजी ने रावण के किरदार को जीवंत कर दिया, और लोगों ने इस बात पे यकीन किया कि, ये बिलकुल वही रावन है, जैसा रामायण में बताया गया है.
जानकारी के अनुसार, अरविन्द त्रिवेदी रावण का रोल नहीं करना चाहते थे. वो, रामानंद सागर जी के पास केवट के किरदार के लिए गए थे, लेकिन रामानंद सागर जी ने उनके अन्दर छिपे हुए एक सशक्त अभिनेता को देख लिया था, और उन्होंने कहा कि, ‘मुझे मेरा लंकेश मिल गया है’ और अब तुम रावण का किरदार निभाओगे. बस वहीँ से ये कहानी शुरू हो गई, और वो अपनी उस भूमिका के माध्यम से घर घर में अमर हो गए.