शास्त्रों में वर्जित है चौथ और अष्टमी के दिन महिलाओं का ससुराल जाना

हमारे धार्मिक शास्त्रों में बहुत सारी मान्यताएं बताई गई हैं, जो मनुष्य जीवन पर अपना गहरा प्रभाव डालती हैं। सालों पुरानी इन मान्यताओं का आज भी पालन हो रहा है। हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं, जो इन मान्यताओं पर विश्वास नहीं करते हैं। लेकिन शास्त्रों में बताई गई इन मान्यताओं के पीछे कोई ना कोई वजह जरूर होती है। जैसे हमारे शास्त्रों में कुछ ऐसे दिन निर्धारित किए गए हैं, जब महिलाओं को अपने मायके से ससुराल नहीं जाना चाहिए। इसकी वजह भी शास्त्रों में बताई गई है।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार किसी महिला को बुधवार, शुक्रवार, चौथ और अष्टमी के दिन अपने मायके से ससुराल नहीं जाना चाहिए। अगर कोई महिला ऐसा करती हैं तो इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ऐसा कोई भी दिन जो देवी से संबंधित हो उस दिन महिला को मायके से ससुराल नहीं जाना चाहिए। जैसे हिन्दू धर्म में शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी का दिन माना जाता है। इसलिए मान्यता है कि अगर कोई महिला शुक्रवार को अपने मायके से ससुराल जाती है तो वह अपने साथ लक्ष्मी लेकर चली जाती है।

इसी तरह बुधवार का दिन माता दुर्गा का दिन माना जाता है और माता चंडी का स्वरूप होने के कारण अगर इस दिन कोई महिला अपने मायके से ससुराल नहीं जाती है तो ससुराल में कलेश होता है। इसी तरह चौथ और अष्टमी भी देवी के संबंधित हैं। इसलिए हिन्दू शास्त्रों में बुधवार, शुक्रवार, चतुर्थी और अष्टमी पर महिला के लिए मायके से ससुराल जाना वर्जित है। इनके अलावा शास्त्रों में बताया गया है कि किसी महिला को ससुराल से मायके आने के बाद नौवें दिन वापस ससुराल नहीं जाना चाहिए क्यों कि नौ दिनों का संबंध भी देवी से हैं।

इस बीच बता दे कि आज देशभर में बहुला चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। भादो मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाए जाने वाले इस पर्व पर सुहागिन महिलाएं संतान की दीर्घायु की कामना के साथ बहुला चौथ व्रत रखती हैं। मान्यता है कि बहुला चतुर्थी का व्रत रखने से पुत्र-पौत्रादि के दीर्घायु के साथ ही संतान का सुख भी प्राप्त होता है।