हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ मास तीसरा हिंदू महीना है. यह महीना वैशाख पूर्णिमा की तिथि के बाद शुरू होता है. ज्येष्ठ महीना मई / जून में आता है. इस साल का ज्येष्ठ महीना एक हफ्ते पहले शुरू हो चुका है, और ये 24 जून तक रहेगा. ऐसे में ज्येष्ठ मास में होने वाले त्योहार और अन्य महत्वपूर्ण तिथियां व पर्व इस प्रकार हैं-
नारद जयंती
एकदंत संकष्टी चतुर्थी
अपरा एकादशी
वट सावित्री व्रत
शनि जयंती
विनायक चतुर्थी
महेश नवमी
गंगा दशहरा
गायत्री जयंती
निर्जला एकादशी
वट पूर्णिमा व्रत
कबीरदास जयंती
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति इस मास व्रत, पूजा-पाठ व दान जैसे कार्य करता है तो उनकी इच्छाएं अवश्य पूरी होती हैं. कहा जाता है कि इस माह में ऋषि-मुनियों द्वारा पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए खास व्रत-त्योहार की व्यवस्था की गई है. यही कारण है कि ज्येष्ठ मास में होने वाले व्रत व त्योहारों में पानी और पेड़-पौधों की पूजा खासतौर से की जाती है.
ज्येष्ठ मास में क्या है खास
महाभारत काल के अनुसार ज्येष्ठ के इस मास में जो भी व्यक्ति नियमित पूजा पाठ करता है और सिर्फ़ एक समय भोजन करता है तो उसके एश्वर्य में बढ़ोतरी होती है. वहीं शिवपुराण से यह जानकारी मिलती है कि ज्येष्ठ महीने में तिल का दान करने से शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं और सेहत सदैव अच्छी रहती है. शास्त्रों के अनुसार अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त करने के लिए इस महीने आने वाली पूर्णिमा के दिन तिल का दान करना या हवन करना फायदेमंद होता है.
शनिदेव जी का जन्म भी इसी महीने में हुआ
ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ महीने के कृष्णपक्ष की आखिरी तिथि अमावस्या है, इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ था. यही कारण है कि इस दिन शनि जयंती मनाई जाती है.
पहलीबार प्रभू राम की मुलाकात हुई हनुमान जी से
शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ महीने में पहलीबार हुई प्रभु राम की हनुमान जी से मुलाकात. कहा जाता है कि यही कारण है कि इस माह के हर मंगलवार को श्रीराम और हनुमानजी की पूजा होती है. आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के लोग ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि के दिन हनुमान जयंती मनाते हैं.