यहीं पर था वो हस्तिनापुर, जिसके लिए हुआ था महाभारत का संग्राम

महाभारत का युद्ध आज के इतिहास में धरती पर मानव सभ्यता के बीच होने वाले सबसे बड़े संग्राम में से एक था. इस युद्ध में करोड़ों योद्धाओं का धरती से सदैव के लिए अंत हो गया था. उस समय के ऐतिहासिक स्थल आज भी इस धरती पर मौजूद हैं. काफी कुछ बदल चुका है. स्थानों के नाम बदल गए हैं, लेकिन जिस जगह ये युद्ध हुआ था, वो जगह आज भी ‘कुरुक्षेत्र’ के नाम से जानी जाती है. लेकिन ये संग्राम हस्तिनापुर के सिंहासन के लिए हुआ था. जिस पर कौरव सदैव के लिए राज करना चाहते थे, और इसके लिए उन्होंने अधर्म का रास्ता भी अपना लिया था. उसके बाद जो युद्ध हुआ, उसका परिणाम सबको पता है. लेकिन शायद ही कोई जानता हो कि, ये हस्तिनापुर अब कहाँ है. हालांकि इसके लिए किसी का कोई निश्चित मत नहीं है, फिर भी कुछ लोगों का मानना है कि, दिल्ली से लगभग 90 किलोमीटर उत्तर पूर्व की तरफ गंगा के किनारे बाएं तट पर महाभारत काल का सबसे प्रसिद्ध एवं चर्चित महानगर हस्तिनापुर स्थित था. कहते हैं ये जगह वर्तमान में उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास स्थित है.

ImageSource

महाभारत में हस्तिनापुर की सुन्दरता को बहुत ही अच्छी तरह बताया गया है. इस ग्रंथ में इस नगर की विविधता, विशिष्टता को कई स्थानो पर वर्णित किया है. कौरवों की यह राजधानी, अपने वैभव और यहाँ रहने वाले महान योद्धाओं के लिए जानी जाती थी. महाभारत में पाणिनी शब्द का को कई स्थानो पर वर्णित किया है. पाणिनी ने ही इस नगर को हस्तिनापुर कहकर संबोधित किया था. उस काल में गंगा नदी उस महानगर के पाश्र्व में होकर बहती थी, जबकि आज वहां गंगा की घाटी भी देखी जा सकती हैं, स्थानीय लोग अब इसे बूढी गंगा कहते हैं.

विष्णु पुराण के लिखे जाने तक गंगा के प्रवाह के कारण इस सुन्दर नगर का काफी भाग नष्ट हो चुका था. विष्णु पुराण में ही एक अन्य प्रसंग के अनुसार पांडवों के एक मात्र उत्तराधिकारी परीक्षित के वंशज ने बाद के समय में, गंगा के प्रवाह में इस राजधानी को नष्ट होता हुआ देखकर अपने देश की राजधानी वत्स देश की नगरी कोशाम्बी को बना लिया था. पुरातत्व विभाग के अनुसार इस नगर की स्थिति और स्मृति के हिसाब से इसे ईसा से एक हज़ार वर्ष पूर्व बताया गया है.

कालिदास के ‘अभिज्ञान शकुंतलम्’ का नायक दुष्यंत भी यहीं का शासक था. एक और मान्यता के अनुसार राजा वृषभ देव ने अपने संबंधी कुरू को कुरू क्षेत्र का राज्य दिया था. इसी कुरु वंश में हस्तिना का जन्म हुआ, और उन्होंने ही गंगा तट पर हस्तिनापुर की नींव डाली थी.