भगवान श्री गणेश सबके आराध्य हैं। सदैव प्रथम पूज्य हैं। हिन्दू धर्म में जब भी किसी काम का शुभारम्भ किया जाता है, तो सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश का ध्यान किया जाता है। इसलिए हम काम प्राम्भ करने से पहले ये भी कहते हैं, कि चलो इस काम का श्रीगणेश करते हैं। इसका मतलब यही है, कि भगवान श्री गणेश की पूजा करके उनको प्रसन्न करना है। अब जब पूजा करते हैं तो उसके लिए सबसे पहले गणेशजी की प्रतिमा का होना भी आवश्यक है। तो यहाँ हम बात करेंगे कि घर में गणेश भगवान् की किस तरह की प्रतिमा स्थापित करना चाहिए। भगवान गणेश जी की मूर्ति घर के उत्तरी पूर्वी कोने में रखना सबसे शुभ माना जाता है। ये दिशा पूजा-पाठ के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। इसके अलावा गणेश जी की प्रतिमा को घर के पूर्व या फिर पश्चिम दिशा में भी रख सकते हैं।
प्रतिमा को रखने के लिए कुछ ख़ास नियम भी होते हैं, जैसे गणेश जी की प्रतिमा रखते समय इस बात का ध्यान रखें कि भगवान के दोनों पैर जमीन को स्पर्श कर रहे हों, और बैठे हुए गणपति जी की प्रतिमा को घर में रखना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। गणेश जी की प्रतिमा को दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि जब भी गणेश जी की मूर्ति लें तो उसमें उनका वाहन चूहा और मोदक लड्डू जरूर बना हो। क्योंकि इसके बिना गणेश जी की प्रतिमा अधूरी मानी जाती है।
कभी भी गणेश जी की प्रतिमा ऐसी जगह न रखें जहां अंधकार रहता हो या उसके आस-पास गंदगी रहती हो। सीढ़ियों के नीचे भी गणेश जी की प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए। घर में गणेश जी की ऐसी ही प्रतिमा लगाएं जिसमें उनकी सूंड बायीं तरफ झुकी हुई हो और पूजा घर में सिर्फ एक ही गणेश जी की प्रतिमा होनी चाहिए।
गणेश जी का पूजन करते समय दूब, घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू अर्पित करने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कहते हैं कि गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था।