विधान शास्त्रों में भगवान श्रीकृष्ण के अनेक नामों का उल्लेख किया गया है। भगवान श्रीकृष्ण के हर नाम का अलग महत्व है। शास्त्रों में भगवान श्रीकृष्ण को मुरारी, केशव, माधव, मधुसूदन, मुरलीधर-वंशीधर और अच्युत जैसे नामों से भी जाना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के यह नाम क्यों रखे गए इसके पीछे अलग-अलग कहानी है।
शास्त्रों के अनुसार महर्षि कश्यप और दिति को मुरा नाम का राक्षस पुत्र हुआ था। एक बार उसने अपने बल से स्वर्ग जीत लिया और सभी देवताओं को वहां से बाहर निकाल दिया। तब इंद्र देवता ने भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना की। इंद्र देवता की प्रार्थना सुन भगवान श्रीकृष्ण ने मुरा का अंत कर दिया। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण को मुरारी नाम से भी जाना जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण के केश लंबे और घने थे, इसलिए उन्हें केशव नाम से पुकारा जाता है। भागवत और गर्ग संहिता में भगवान श्रीकृष्ण के सुंदर व्यक्तित्व का वर्णन मिलता है। गोपियां भी भगवान श्रीकृष्ण को केशव नाम से ही संबोधित करती थी।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मधु वंश में हुआ था, इसलिए उन्हें माधव भी कहते हैं। अन्य मान्यता के अनुसार वसंत के समान श्रेष्ठ होने के कारण कृष्ण का नाम माधव पड़ा। क्योंकि वसंत का एक नाम मधु भी है।
भागवत में मधु नाम की तीन राक्षसों का जिक्र हैं। इनमें से एक राक्षस का वध भगवान श्रीकृष्ण ने किया था। मधु राक्षस का वध करने के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण का नाम मधुसूदन रखा गया।
भगवान श्रीकृष्ण हमेशा अपने साथ बांसुरी रखते थे। प्रेम और शांति का संदेश देने वाली बांस की बांसुरी उनकी शक्ति थी। भगवान श्रीकृष्ण इतनी मधुर बांसुरी बजाते थे कि लोग उनके वश में हो जाते थे। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण को मुरलीधर-वंशीधर भी कहा जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण ऐसे भगवान हैं जो कई रूपों में पूजे जाते हैं, जैसे – पुत्र, पति, भगवान, गुरु, मित्र आदि। उसके हर रूप में अटल-अडिग व्यक्तित्व निखर कर सामने आता है। इसीलिए उन्हें अच्युत कहा गया है।