कालखंड, युग, युगांतर, सब कुछ हैं प्रभु श्रीराम

मनुष्य का जीवन मिलना सौभाग्य होता है, लेकिन उससे भी ज्यादा सौभाग्य है जीवन को सार्थक करना. ऐसे तो हम सब जीवन यापन के लिए कुछ न कुछ करते हैं, और इस धरती पर कुछ ऐसा करके भी जाना चाहते हैं, जिसके कारण हम अपना होना और जीना दोनों सफल कर जाएँ, पर ये तभी संभव है जब हर समय हमारे मन में भगवान श्रीराम का का ध्यान रहे.

समय का चक्र तो घूमता ही रहता है, लेकिन प्रभु राम तो समय से परे हैं. कालखंड, युग, युगांतर, सब कुछ श्रीराम ही तो हैं. मनुष्य को जितना कुछ श्रीराम के धरती पर आने से मिला, उसी में मानवजाति का उद्धार होता रहेगा. प्रभु के नाम से सबका बेड़ा पार होता रहेगा. जीवन की यात्रा तो बहुत छोटी है. पर राम नाम की लगन बहुत बड़ी है. हर जीवन से बड़ी, हर युग से बड़ी. भगवान राम ने अपना जीवन मानव सेवा में समर्पित कर दिया. युगों युगों से प्रतीक्षारत भक्तों का उद्धार कर दिया. स्वयं को अर्पण कर दिया मानवजाति के लिए और समर्पण कर दिया आदर्शों के लिए. और आज उनके वही आदर्श मनुष्य के लिए सम्पूर्णता है.

जीवन में लड़खड़ाने के कई अवसर आते हैं. हारकर, थककर, बैठ जाने का मन करता है. वापस लौटने की इच्छा होती है. और यही वो क्षण होते हैं, जब स्वयं को सम्हालना होता है. आँखें बंद करके प्रभु राम का नाम लेना होता है. जैसे ही राम नाम का ध्यान किया, और सच्चे हृदय से प्रभु का नाम लिया, तो सब कुछ सहज हो जाता है. मन में अपार ऊर्जा भर जाती है. ठहरे हुए कदम बढ़ने लगने हैं. क्योंकि श्रीराम के समर्पण के समान और कुछ नहीं है. उनका त्याग और मर्यादा ही धरती पर जीने का आधार है. जिनके हृदय में प्रभु राम बसते हैं. वो जीवन के हर पड़ाव को हंसकर पार करते हैं.