जातक कथा – बुद्धिमान राजा ही कर सकता है प्रजा की रक्षा

जब परिस्थिति हमारे अनुकूल होती है तब ज्यादातर लोग सही तरीके से अपने काम को अंजाम दे देते हैं। लेकिन मनुष्य की असली परीक्षा तभी होती है जब आपके सामने विपरीत परिस्थितियां हो। विपरीत परिस्थितियों में भी संयम और बुद्धि से अपने काम को सही तरीके से अंजाम देने वाला व्यक्ति ही जीवन में सफलता प्राप्त करता है। भगवान बुद्ध द्वारा कही गई जातक कथा से भी हमें यही सीख मिलती है। जातक कथा है कि हजारों साल पहले मगध से सटे एक वन में हिरणों का समूह निवास करता था। हिरणों के राजा मृगराज के दो पुत्र थे, जिनका नाम लक्खण और काल था।

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धीरे-धीरे मृगराज जब वृद्ध होने लगा तो उन्होंने अपने दोनों बेटों को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। मृगराज ने 500-500 हिरणों के दो समूह बनाए और अपने दोनों बेटों को एक-एक समूह का राजा बना दिया। कुछ दिनों बाद जब मगध में फसलें लहराने लगी तो मगध के लोगों ने फसलों की जानवरों से सुरक्षा के लिए खेतों के आसपास खाइयों का निर्माण करने लगे। साथ ही अन्य उपाय भी अपनाने लगे।

एक दिन मृगराज ने अपने दोनों बेटों को बुलाया और कहा कि मनुष्य अपनी फसलों की रक्षा के लिए हिरणों का शिकार कर सकते हैं। ऐसे में तुम दोनों अपने-अपने समूह के साथ किसी सुरक्षित पहाड़ी पर चले जाओ। अपने पिता की बात सुनकर काल बिना कुछ सोचे-समझे दिन में ही अपने समूह के साथ सुरक्षित पहाड़ी की तरफ निकल पड़ा। दिन का समय होने के कारण उसके समूह के कई हिरण रास्ते में मारे गए।

 

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दूसरी तरफ लक्खण ने बुद्धि का परिचय देते हुए रात का इंतजार किया क्योंकि उसे पता था कि दिन के उजाले में मगध के लोग उनका शिकार कर सकते हैं। लक्खण अपने समूह के साथ रात के अंधेरे में सुरक्षित पहाड़ी के लिए निकल पड़ा और उसके सभी साथी सकुशल पहाड़ी पर पहुंच गए। फसल कटने के बाद दोनों भाई अपने-अपने समूह के साथ वापस वन में लौट आए। वृद्ध पिता को जब पता चला कि लक्खण के समूह के सभी हिरण जिंदा हैं जबकि काल के समूह के कई हिरण मारे जा चुके हैं तो उन्होंने लक्खण की बुद्धिमता और दूरदर्शिता की प्रशंसा की।