मनुष्य के पूरे जीवन को चार भागों में बांट कर जो पारिवारिक और सामाजिक व्यवस्था रामायण में की गई है वो हर काल में, हर परिवार पर लागू करने जैसी है। अगर हर इंसान अपने जीवन में इन चारों अवस्थाओं का पालन कर ले तो बहुत सारी पारिवारिक और सामाजिक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
वैसे तो रामायण के समय संसार में राजवंश परंपरा शासन करती थी जिसके अनुसार राजा का पुत्र ही राजा होता था फिर भी जनतंत्र का उदाहरण रामायण में देखा जा सकता है कि राम जी को राजा बनाने से पहले दशरथ जी ने पूरी राज्य सभा बुलाई, अपने अधीन समस्त प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को बुलाया, राज्य मंत्रियों को बुलाया, सभी बुद्धिजीवियों से सलाह की और उनकी सहमति और समर्थन के बाद ही दशरथ जी ने राम को राजा घोषित किया।
जय श्रीराम🙏
Gepostet von Arun Govil am Sonntag, 10. Mai 2020
रामायण की ये वो शिक्षा है जो हर काल में उपयोगी है और इसे आज भी लागू किया जाना चाहिए।
जिन सत्ता और संपत्ति के लिए, जिस राज्य पद के लिए इंसान इंसानों की हत्या तक कर देता है उसी राज्य सुख को राम जी बड़े संकोच से स्वीकार कर रहे हैं और वे चाहते हैं के इस राज सुख में चारों भाइयों को बराबर भाग मिले। राम का यह चरित्र धरती के हर इंसान के लिए एक आदर्श है और जीवन में उतारने जैसा है।
कैकेई और मंथरा का संवाद हमें अपने रिश्तो पर विश्वास बनाए रखने की शिक्षा देता है। चाटुकारों चापलूसों और मूर्खों के बहकावे में आकर अच्छे रिश्तो का अपमान कभी नहीं करना चाहिए।
महाराज दशरथ द्वारा राम जी को दी गई राज धर्म की शिक्षा आज के हर नेता, हर शासक को सुननी चाहिए और अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।