कैलाश मानसरोवर धरती और आकाश के बीच ऐसी जगह, जहां मिलती हैं दसों दिशाएं

सनातन धर्म में सिर्फ भगवान की मूर्ति ही नहीं बल्कि पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदी-झीलों की भी पूजा की जाती हैं। ऐसी कई नदियां और झीलें हैं, जिन्हें पवित्र मानकर उनकी आराधना की जाती है। कैलाश मानसरोवर ऐसी ही एक झील है, जिसके प्रति हिन्दुओं की गहरी आस्था है। जैन, बौद्ध और सिख धर्म में भी कैलाश मानसरोवर को पवित्र झील का दर्जा दिया गया है। कैलाश मानसरोवर, कैलाश पर्वत के पास स्थित है। कैलाश पर्वत को भगवान शिव और माता पार्वती का निवास स्थान माना जाता है। कैलाश मानसरोवर को देवताओं की झील भी कहा जाता है। हिंदू धर्म से जुड़े लोगों के लिए यह प्रमुख तीर्थस्थल है। हालांकि यह मानसरोवर चीन के अधीन है, इसलिए सीमित संख्या में ही श्रद्धालु इसके दर्शन कर पाते हैं।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कैलाश मानसरोवर भगवान ब्रह्मा के मन में उत्पन्न हुआ था। कैलाश मानसरोवर के पास ही कुबेर की नगरी है। मान्यता है कि यहीं से पवित्र गंगा नदी भगवान श्रीविष्णु के चरणों से निकलकर भगवान शंकर की जटाओं में समा गई थी। माता पार्वती भी कैलाश मानसरोवर में ही स्नान करने के लिए आती थी। इस स्थान पर ही माता सती का दायां हाथ गिरा था इसलिए यहां पर एक पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा जाता है। बौद्ध धर्म में भी कैलाश मानसरोवर को पवित्र माना गया है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के अनुसार यह वही स्थान है जहां पर रानी माया को भगवान बुद्ध की पहचान हुई थी। सिख धर्म के अनुयायियों का मानना है कि गुरु नानक ने यहां कुछ दिन रुककर ध्यान किया था।

कैलाश मानसरोवर और कैलाश पर्वत को लेकर एक रहस्य यह भी है कि यहां पर अजीबो-गरीब आवाज सुनाई देती है। इसका कारण आज तक वैज्ञानिक पता नहीं लगा पाए हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह आवाज बर्फ के टूटने की हो सकती है जबकि श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यह आवाज किसी अदृश्य शक्ति की है।


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वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी कैलाश मानसरोवर और इसके आसपास का स्थान काफी महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह स्थान धरती का केंद्र है। धरती के एक तरफ उत्तरी ध्रुव है जबकि दूसरी तरफ दक्षिणी ध्रुव है। दोनों ध्रुवो के बीचो-बीच कैलाश पर्वत और कैलाश मानसरोवर है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह स्थान पृथ्वी और आकाश के बीच संबंध का ऐसा बिंदु है जहां दसों दिशाए आकर मिलती है। यह आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र भी है। अगर रशिया के वैज्ञानिकों की माने तो इस स्थान से अलौकिक शक्तियों का प्रवाह होता है।