कैसे हो दिन की शुभारंभ

नमस्ते नमस्ते नमस्ते

डोनाल्ड ट्रम्प से लेकर ब्लादीमीर पुतिन,बेंजामिन नेतान्याहु जैसा  संसार का हर बड़ा नेता और बुद्धिजीवी वर्ग आज दुनिया भर में सैकड़ों साल से चली आ रही हाथ मिलाने की आदत को छोड़कर नमस्ते कर रहा है। जानते हैं क्यों? क्योंकि यही सही और सुरक्षित तरीका है अभिवादन का।

एक नियम हमारे बुजुर्गों ने बनाया है वो है सवेरे उठते ही सबसे पहले अपनी हथेलियाँ देखना जिसमें हम यह भावना करते हैं कि- हथेली के सबसे आगे वाले भाग में लक्ष्मी बीच वाले भाग में सरस्वती और आधार में गोविंद भगवान बसते हैं। इसका एक मंत्र भी है– कराग्रे बसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविंद:, प्रभाते कर दर्शनम्।।

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राम जी को हम इतना क्यों मानते हैं क्योंकि उन्होंने मात्र उपदेश नहीं दिए बल्कि अपने व्यवहार और कर्मों से एक आदर्श इंसान बनकर जीने की कला सिखाई है। हमने रामायण में देखा कि राम जी सोकर उठने पर सबसे पहले अपनी हथेलियां देखते थे। बिस्तर छोड़ने के बाद धरती माता को प्रणाम करते थे उसके बाद धरती पर पैर रखते थे।

राम चरित मानस में लिखा है–

प्रात काल उठि के रघुनाथा, मात-पिता गुरु नावहिं माथा।

आयसु माँगि करहिं पुर काजा, देखि चरित हरसइ मन राजा।।

अर्थात सवेरे उठके राम जी -माता पिता गुरु और बड़ों को प्रणाम करते थे। उनकी आज्ञा से सारे काम किया करते थे और यह देख कर दशरथ जी खुश होते थे।

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सोचिए अगर प्रतिदिन हम इस बात को ध्यान में लाते हैं कि हमारी हथेलियों में भगवान के कई रूपों का निवास है तो क्या हम अपने हाथों से कोई बुरा कर्म करेंगे? किसी गलत चीज को हाथ को हाथ लगाएंगे? हमारी इन बहुत जरूरी और सबके काम की परंपराओं को धार्मिक प्रोपेगेंडा और छुआछूत कहकर छोड़ दिया गया परंतु आज इनको सारी दुनिया जान भी गई और मान भी रही है।

ये धरती मां जिसने हमें अपने ऊपर बिठा रखा है। हमारे खाने के लिए दाने,पानी, सब्जियाँ, फल, वनस्पतियाँ आदि दे रही है। हमारे द्वारा फेंका गया तरह तरह का कचरा अपने ऊपर झेल रही है। क्या इसे प्रणाम करके हमें धन्यवाद नहीं करना चाहिए?

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इसी तरह अगर हम सवेरे सवेरे अपने माता-पिता और सभी बड़ों को रोज प्रणाम करेंगे, उनकी बात मानेंगे या अपने काम उनसे पूछकर या उनको बताकर करेंगे तो घर का माहौल कितना पॉजिटिव और खुशनुमा रहेगा।

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सनातन परंपरा में प्रणाम करने का तरीका है- दोनों हाथों को जोड़कर सीने के पास रख कर सिर झुका कर कंधा झुका कर कमर झुकाकर या पैरों के पास बैठकर यथायोग्य प्रणाम करना।

इस तरह प्रणाम की कई मुद्राएं हैं जिनका अलग-अलग तरह से शरीर को फायदा है। इसके साथ ही ऐसा करने पर बड़ों के मन में आने वाली भावनाएं और उनकी पॉजिटिव वाइब्स भी आशीर्वाद के रूप में मिलती हैं।

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जय श्रीराम🙏#goodmorning

Gepostet von Arun Govil am Freitag, 15. Mai 2020

तो हमें क्या करना चाहिए ? वही जो हम करते आये हैं। किसी से मिलें तो नमस्ते करें या राम राम कहें। हम कितने भी मॉडर्न हो जाएं लेकिन अपने धर्म और संस्कार की जड़ों से जुड़े रहें।

रामायण हमें यही सिखाती है इसमें लिखी बातें और राम जी की जीवन शैली कल भी बहुत काम की थी आज भी है और आने वाले कल में भी रहेगी।