सत्कर्मों का धन जाता है अगले जन्म में भी मनुष्य के साथ

हमारे धर्मशास्त्रों में लिखा है, जन्म मृत्यु एक चक्र है, मनुष्य की आत्मा एक शरीर छोड़कर दूसरे शरीर धारण करती है। ये बिलकुल उसी तरह है, जैसे हम पुराने वस्त्र उतारकर नए वस्त्र धारण करते हैं। अब यहाँ ये बात ज़रूरी है, कि जीवन में जैसे कर्म होंगे अगले जन्म में नए वस्त्र यानि शरीर उसी तरह का मिलेगा, जैसा आपका बही खाता रहा है।

बहुत से लोग तो पुनर्जन्म को मानते ही नहीं। न मानें। उनके न मानने से कोई सत्य, झूठ थोड़े ही बन जाएगा। यदि कोई कहे, कि मैं ईश्वर को नहीं मानता, तो उसके न मानने से क्या ईश्वर नहीं रहेगा? क्या ईश्वर नष्ट हो जाएगा? नहीं होगा। अतः जो व्यक्ति सत्य को स्वीकार नहीं करता, वह स्वयं हानि उठाएगा। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है, कि सत्य को जानें, उसे स्वीकार करें, और उसके अनुसार आचरण करें, तभी सुख मिलेगा।

अब कुछ लोग पुनर्जन्म को मानते भी हैं। और बहुत से ऐसे धनवान लोग यह चाहते हैं, कि हमारे पास बहुत सा धन है, हम इसे पुनर्जन्म में साथ ले जाना चाहते हैं। परंतु सिकंदर आदि की घटनाएं सब जानते हैं। उसके पास भी बहुत धन था, परंतु वह कुछ भी अपने साथ नहीं ले जा सका।

तो अब प्रश्न यह है, कि जो लोग वर्तमान जीवन का धन संपत्ति अगले जन्म में अपने साथ ले जाना चाहते हैं, वे कैसे अपने साथ ले जा सकते हैं? इसका समाधान यह है कि, वे पूरे जीवन के अपने खर्च की गिनती करें। सारा जीवन ठीक-ठाक जीने के लिए उन्हें कितना रुपया चाहिए. भविष्य का भोजन, वस्त्र, आवास, यात्रा का खर्चा, मँहगाई भी बढ़ेगी, बीमारी चिकित्सा ऑपरेशन आदि में भी खर्च होगा, कुछ मित्रों रिश्तेदारों को गिफ्ट भी देना पड़ेगा, और कुछ अचानक आने वाली आपत्ति के लिए भी धन की आवश्यकता पड़ेगी। इत्यादि सारा खर्चा गिनें।

10 लाख 20 लाख 50 लाख 1करोड़, 2 करोड़ रुपए आदि। जो भी गिनती बने, उस धन की सीमा निर्धारित करें। उसके बाद वे पूर्ण विराम लगाएं। यदि अपनी आवश्यकता से अधिक धन कमा चुके हैं, फिर और धन कमाने की चिंता न करें। बल्कि अपनी आवश्यकता से अधिक, जो फालतू धन उनके पास है, जिसे वे जीवन भर में भी खर्च नहीं कर पाएंगे, उस फालतू धन को कम से कम उत्तम कार्यों में, उत्तम संस्थाओं को दान देवें। यह उनके धन का दिया गया दान, उनके साथ अगले जन्म में जाएगा, और उन्हें अगले जन्म में मिल जाएगा। आपको पूरे जीवन के लिए कितना धन चाहिए, इसका निर्णय तो आप ही करेंगे। अवश्य कीजिए। परंतु कुछ निर्णय कीजिए तो सही!

यह दान देना एक प्रकार से बीज बोने के समान है। जैसे किसान खेत में बीज बोता है, तभी उसे बहुत सी फसल मिलती है, बिना बीज बोए नहीं। इसी प्रकार से जो व्यक्ति धन का दान करेगा, तो यह दान भी उसे अगले जन्म में फसल के समान बहुत से धन के रूप में प्राप्त हो जाएगा, इसके बिना नहीं। यानि इस तरह आप अपने इस जन्म के धन को अगले जन्म में अपने साथ ले जा सकते हैं।