वैसे तो पूरी दुनिया में किले अलग-अलग बनावट में और अलग-अलग रूपों में मिल ही जाते हैं, लेकिन भारत में जगह-जगह बड़े स्तर पर किले बने हुए हैं। ये किले अपने पुराने राजसी-वैभव की कहानी कहते नजर आते हैं। कई किलों से आजादी की लड़ाई लड़ी गई और वहां स्वंत्रता संग्राम सेनानियों ने देश के भविष्य की रणनीति बनाई। राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश की तरह ही जम्मू-कश्मीर में भी कई किले हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है भीमगढ़ का किला।
भीमगढ़ किला जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में रीसी शहर में मौजूद एक ऐतिहासिक दुर्ग है। इस किले को भीरीसी किला भी कहते हैं। एक पहाड़ी के ऊपर बना होने के कारण यह काफी सुरक्षित और खूबसूरत दिखाई देता है। इसी तरह इस किले से पहाड़ी के पास बहने वाली अंजी नदी का भी बहुत सुंदर नजारा दिखाई देता है। 500 फीट ऊंचाई के कारण इसके आसपास का बड़ा हिस्सा दिखाई देता है। भीमगढ़ का किला जिसे सामान्य तौर पर रियासी किला भी कहा जाता है, यह जम्मू से 64 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में रियासी ग्राम के पास बना हुआ है। पहाड़ी पर बने इस किला की ऊंचाई लगभग 150 मीटर है।
भीमगढ़ मूल रूप से यानी शुरुआती समय में ईंट और मिट्टी से बना दुर्ग था। बाद में महाराजा ऋषिपाल राणा के शासनकाल के दौरान इसे पत्थर से बनाया गया। ऋषिपाल राणा ही रियासी के संस्थापक थे। यह मरम्मत करने के बाद शाही परिवार के निवास के रूप में इस्तेमाल हुआ। सन 1817 से डोगरा राजपूत वंश के महाराजा गुलाब सिंह जामवाल द्वारा इसका फिर से निर्माण कराया गया। इसके बाद से यह किला अपने इसी रूप में मौजूद है।
गुलाब सिंह जामवाल युग के दौरान किला को राजपूताना के किलों की तर्ज पर फिर से बनाया गया था। किले का प्रवेश द्वार बलुका स्टोन का बना है। इसकी निर्माण शैली और संरचना दोनों में दक्षिणी शैली का प्रभाव देखने को मिलता है। प्रवेश द्वार में भगवान हनुमान और देवी महाकाली की विशाल मूर्तियां भी अंकित हैं।
किले को काफी मजबूत बनाया गया है, इसे बाहरी हमलों से बचाने के लिए सभी तरफ 50 मीटर ऊंची दीवारें बनाई गई थीं। किले के परिसर के भीतर एक प्राचीन मंदिर, एक खजाना, एक डंपिंग रूम के साथ-साथ एक छोटा तालाब भी है, जबकि कई कमरे भी मौजूद हैं। किले ने पुराने समय में कई भूकंप भी सहे हैं, लेकिन मजबूती के कारण यह अभी तक टिका हुआ है। यह मजबूती और कारीगरी का अद्भुत नमूना है। इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं।