छह महीने के शीतकालीन अवकाश के बाद खुले केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के कपाट

ये आस्था का देश है. ये धर्म और संस्कारों का देश है. हमारे प्राचीनतम मंदिर और धार्मिक स्थल भारत की गौरवशाली परंपरा की पहचान है. इन्हीं महानतम धार्मिक स्थलों में केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर के कपाट छह महीने के शीतकालीन अवकाश के बाद खोल दिए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से केदारनाथ मंदिर में पुजारियों द्वारा पहली पूजा 17 मई को सम्पन्न हुई है.

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जानकारी के अनुसार केदारनाथ मंदिर के कपाट सुबह पांच बजे मेष लग्न में विधि विधान से खोल दिए गए, और 18 मई को ब्रह्म मुहूर्त में पुजारियों और विशेष गणमान्य लोगों की उपस्थिति में बद्रीनाथ धाम के कपाट खुल गए. इस दौरान कोरोना प्रोटोकॉल के तहत तीर्थ पुरोहित, पंडा समाज के साथ बहुत कम लोगों को ही मंदिर में जाने की अनुमति मिली, जो इस कार्यक्रम में शामिल हुए.

COVID-19 महामारी की दूसरी लहर के मद्देनजर इस विशेष धार्मिक समारोह में चुनिंदा लोग ही शामिल हुए. यह लगातार दूसरा वर्ष है जब COVID के कारण केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की तीर्थयात्रा प्रभावित हुई है. कोरोना वायरस के बढ़ते हुए मामलों के चलते तीर्थयात्रियों को मंदिर की सीमा से बाहर रखा गया था.

चारधाम देवस्थानम बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि पहली पूजा प्रधानमंत्री की ओर से पुजारियों द्वारा की गई थी क्योंकि प्रसिद्ध हिमालयी मंदिर के द्वार सुबह 5 बजे खोले गए थे. इस समारोह में रावल भीम शंकर लिंग और मुख्य पुजारी बागेश लिंग, और प्रशासन और देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों सहित सीमित संख्या में मंदिर के पुजारी शामिल हुए.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मंदिर के कपाट खोले जाने के पश्चात प्रसन्नता व्यक्त करते हुए लोगों के कल्याण और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की. लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर मंदिर की यात्रा अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गई है. रावत ने अपील की है कि सभी भक्त बाबा केदार के “दर्शन” online करते हुए घर में ही पूजा करें.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी समाप्त होने के बाद जल्द ही चारधाम यात्रा शुरू की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल होने वालों द्वारा मास्क पहनने और सामाजिक दूरी जैसे Covid ​​​​मानदंडों का सख्ती से पालन किया गया.

हालांकि, COVID वृद्धि को देखते हुए अगले आदेश तक किसी भी तीर्थयात्री को इनमें से किसी भी मंदिर में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.