कुंभ मेले के बाद यही है दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मेला

ये भारत भूमि है. ऐसी‌ धरती जहां कदम कदम पर देवी देवताओं का वास है. सनातन धर्म के लिए पूरी दुनिया में ये धरती सबसे महान है. एक से ‌बढ़कर एक धार्मिक आयोजन, जगह जगह मंदिर और मेले, पूजा, उपवास, त्याग, तपस्या यही इस भूमि की पहचान है. हिंदू धर्म में धार्मिक त्योहारों और मेलों का विशेष महत्व है. भारत में अलग-अलग जगहों और समय पर धार्मिक मेलों का आयोजन किया जाता है. इन मेलों में बड़ी संख्या में हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग पहुंचते हैं. पश्चिम बंगाल में लगने वाला गंगासागर मेला ऐसे ही धार्मिक मेलों में से एक है. गंगासागर मेले को कुंभ मेले के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक मेला भी कहा जाता है. गंगासागर मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं. गंगासागर मेला हर साल मकर संक्रांति पर शुरू होता है और पांच दिनों तक चलता है.

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हिंदू धर्म में गंगा नदी का विशेष महत्व है. गंगोत्री से निकल कर गंगा नदी पश्चिम बंगाल में आकर सागर में मिलती है. गंगा व सागर के इस संगम स्थल को गंगासागर और यहां लगने वाले मेले को गंगासागर मेला कहा जाता है. गंगासागर मेला सदियों से विश्व विख्यात रहा है. दुनियाभर से श्रद्धालु मोक्ष की कामना लेकर मकर संक्रांति पर गंगासागर पहुंचते हैं और संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाते हैं.

हिंदू धर्म में गंगासागर में स्नान करने का विशेष महत्व है. खासकर मकर संक्रांति पर इसकी महत्ता कई गुना बढ़ जाती है. मान्यता है कि मकर संक्रांति पर गंगासागर में डुबकी लगाने से जो पुण्य मिलता है वह और कहीं स्नान करने या दान करने से नहीं मिलता है. यहां स्नान करने से सभी तीर्थों की यात्रा के बराबर पुण्य मिलता है. यही कारण है कि दूर-दूर से साधु-सन्यासी और श्रद्धालु यहां आकर स्नान करते हैं और सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.

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धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगीरथजी कपिल मुनि के श्राप से भस्म हुए अपने साठ हजार पूर्वजों के उद्धार के लिए मां गंगा की तपस्या कर उन्हें धरती पर लेकर आए थे. मकर संक्रांति ही वह दिन है जब गंगा नदी भगवान शिव की जटाओं से निकली थी. भगीरथजी मां गंगा को अपने पीछे-पीछे उस स्थान तक ले गए जहां उनके पूर्वजों की अस्थियां रखी हुई थी. मां गंगा भगीरथजी के पूर्वजों का उद्धार करते हुए सागर में जा गिरी. यही कारण है कि मकर संक्रांति के अवसर पर गंगासागर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. प्राचीनकाल में जिस जगह पर कपिल मुनि का आश्रम था, आज वहां कपिल मुनि का मंदिर बना हुआ है.