बदल रही है अयोध्या, कलयुग में बनाया जा रहा है त्रेता युग जैसा माहौल

इस समय सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नज़रें अयोध्या पर हैं, क्योंकि राम जन्मभूमि पर भगवन श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है. दुनियाभर में रहने वाले राम भक्त अयोध्या में शीघ्र ही अपने आराध्य का मंदिर देखना चाहते हैं, और बहुत जल्द उनका ये सपना साकार हो जायेगा.

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प्रभु श्रीराम के इस मंदिर की वजह से अयोध्या में काफी विकास कार्य भी हो रहे हैं. पूरे शहर का नक्शा बदल रहा है. अयोध्या के विकास के क्रम में, सड़कें, विश्राम गृह, होटल, पार्क जैसे महत्वपूर्ण निर्माण कार्य होंगे. इसके आलावा मंदिर और उसके आस पास के क्षेत्र का भी विस्तार किया जाएगा. क्योंकि सबसे ज्यादा श्रद्धालु वहीँ जमा होंगे. इसके अलावा अयोध्या के लिए ऐसे प्रयास किये जा रहे हैं कि, राम भक्तों को वहां आने के बाद भगवान श्रीराम का युग ही दिखाई दे, और उन्हें लगे कि, वाकई वो त्रेतायुग में आ गए हैं. इसके लिए हर संभव कोशिश की जा रही है. शहर के साथ साथ आस पास के वन्य क्षेत्र का विस्तार भी इसी को ध्यान में रखकर किया जा रहा है.

इसी बीच अयोध्या वन विभाग से अच्छी ख़बर आई है कि वाल्मीकि रामायण में जिन पौधों का जिक्र किया गया है, वो पौधे राम मंदिर परिसर में जल्द दिखाई देंने वाले हैं. वन विभाग ने उन पौधों के बीजों को इक्ट्ठा कर लिया है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने वन विभाग को राम मंदिर परिसर में पौधों के बीज बोने की अनुमति दे दी है.

जानकारी के अनुसार, त्रेता युग में जिस तरह का वातावरण हुआ करता था, उस तरह के वातावरण और परिवेश को उत्पन्न करने के लिए वृक्षारोपण के लिए उपयुक्त क्षेत्रों और स्थानों की पहचान की जा रही है.

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वाल्मीकि रामायण के अनुसार, रामायण में 89 पेड़ों की प्रजातियों का वर्णन किया है. इन 89 पेड़ों की प्रजातियों में से कुछ इस प्रकार हैं- रक चंदन, चंदन, साल, देवदार, ढाक, पीपल, नागकेसर, आम, अशोक, सीता अशोक, पारिजात, अगर, लोध शामिल हैं.

कहा जाता है कि माता सीता व भगवान राम के जीवन में इन पौधों की अहम भूमिका रही है. हालांकि, वन विभाग कथित तौर पर अपने वार्षिक वृक्षारोपण अभियान में इन प्रजातियों को नहीं लगाता था. पर आने वाले समय में ये सभी पौधे ज़रूर दिखाई देंगे.

जानकारी के अनुसार, अलग-अलग राज्यों से कई प्रकार के पौधों को लाया जाएगा. जिन्हें तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट वन विभाग की मदद से राम मंदिर के परिसर में लगाया जाएगा.