श्रीराम भारतीय जनमानस की ह्रदय और आत्मा में बसे हुए हैं, सनातन परम्पराओं के अग्रज हैं. श्रीराम, आदर्शों की मिसाल, अयोध्या के राजा और हम सबके भगवान. और अब काफी लम्बी प्रतीक्षा के बाद उनके मंदिर निर्माण की तैयारियां शुरू हो गईं हैं, लेकिन उससे पहले होगा शिलान्यास, जिसके लिए 5 अगस्त की तारीख निश्चित है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी स्वयं इसके लिए पहली ईंट रखकर इसका श्रीगणेश करेंगे.
पूरी दुनियां में इस समय कोरोना का कहर है, और उसी के चलते 150 से 200 वरिष्ठ लोगों को भूमिपूजन के इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जा रहा है. जिनमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारियों समेत साधु संत, महंत, प्रशासनिक अधिकारी आदि शामिल हैं. हालांकि बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं, जो इस कार्यक्रम में आना चाहते हैं, और अगर सब कुछ ठीक होता तो शायद उनको आमंत्रित भी किया जाता, लेकिन सरकार निर्देशों के दायरे में रहकर ये शिलान्यास का कार्यक्रम करने जा रही है.
ऐसे में वर्षों से राम मंदिर आन्दोलन से जुड़े सभी लोगों का इस कार्यक्रम में शामिल हो पाना संभव नहीं है. क्योंकि बड़े बड़े नेताओं से लेकर कार्यकर्ता तक हज़ारों की तादाद में लोग इस आन्दोलन से जुड़े रहे हैं, लेकिन फिर भी आन्दोलन की अगुआई करने वाले वरिष्ठ लोगों को इसके लिए बुलाये जाने का पूरा प्रयास हो रहा है. इसी के चलते श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय जी ने बताया है कि, ‘मानीय लालकृष्ण आडवाणीजी और डॉक्टर मुरली मनोहर जोशीजी हमारे परिवार के बड़े और अग्रज हैं, और उनका आना तो निश्चित है.
हालांकि ये दोनों वरिष्ठ नेता लम्बे समय से राम मंदिर आन्दोलन का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं, मगर फिर भी इनके आने की कोई निश्चित जानकारी नहीं मिल पा रही थी, पर अब चम्पत रायजी ने इसकी पुष्टि कर दी है. अब आगामी 5 अगस्त के दिन अयोध्या में होने वाले इस भूमि पूजन के कार्यक्रम का पूरा देश बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा है.