भगवान जगन्नाथ के शहर पुरी में अभी 7 दिनों का उत्सव चल रहा है, 23 जून को शुरू हुई रथयात्रा में सवार होकर भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा गुंडिचा मंदिर पहुँच गए हैं, और भगवान जगन्नाथ को मंदिर के बाहर बैरिकेडिंग में रखा गया है, इसके बाद 1 जुलाई को रथों में बैठकर उनकी सवारी वापस मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी, और मंदिर में विराजमान हो जायेंगे|
इस बार की रथयात्रा में ढाई हज़ार सालों में पहली बार ऐसा हुआ कि, भगवान् तो मंदिर के बाहर निकले, लेकिन भक्त घरों के अन्दर ही रहे, कोरोना महामारी के चलते पहले तो इस रथ यात्रा पर रोक लगा दी गई थी, फिर यात्रा निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अलग अलग याचिकाएं दायर की गई, और अंत में सुप्रीम कोर्ट ने यात्रा निकाले जाने की अनुमति दे दी, लेकिन यात्रा में कोई भी भक्त शामिल नहीं हो सका|
1172 सेवक इस रथ यात्रा को खींचकर गुंडिचा ले गए, और वही इसे वापस लेकर आयेंगे| मान्यता है कि, हर वर्ष इस यात्रा के द्वारा भगवान जगन्नाथ, अपने मंदिर से ढाई किलोमीटर दूर अपनी मौसी के घर जाते हैं, और उनके साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी जाती हैं|
यहाँ 7 दिन रुकने के बाद आठवे दिन फिर से वह मुख्य मंदिर में पहुँच जाते हैं, और इस दौरान पुरी शहर में पूरे नौ दिन तक उत्सव चलता है, लेकिन इस बार मंदिर समिति ने जो नियम बनाये उसके अनुसार आम लोगों को इस यात्रा और मंदिरों के पास आने की अनुमति नहीं थी, और वैसे भी इन दिनों पुरी शहर में लॉकडाउन के चलते धारा 144 लागू है|
जानकारी के अनुसार, इस बार स्वयं पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट से अपील करके कोई रास्ता निकालने के लिए कहा था, जिससे हज़ारों वर्ष से चली आ रही पुरी की जगन्नाथ यात्रा की परंपरा भी ना टूटे, और कोरोना महामारी के फैलने की संभावना भी ना हो, उसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला लिया कि, रथयात्रा में सेवकों के अलावा और कोई भी शामिल न हो, और ये यात्रा पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के हिसाब से ही निकाली गई|