मनुष्य को इच्छाशक्ति का जीवंत अनुभव सिखा गए भगवान श्रीराम

हम सब अपने जीवन में कई अभिलाषाएं लेकर कहते हैं. सपनों की अपनी पूरी लिस्ट होती है, जिसे हम एक एक करके या एक साथ पूरा करना चाहते हैं. पर सब कुछ इतना आसान तो नहीं तो नहीं होता. इस धरती पर मानव स्वरुप में जन्म लेकर भगवान को भी जीवन के उन कड़े अनुभवों का सामना करना पड़ा, जिनसे किसी का भी बचना संभव नहीं होता. प्रभु श्रीराम ने मनुष्य को इच्छाशक्ति का ऐसा उदाहरण दिया है, जिससे बड़ी से बड़ी कठनाई से पार पाया जा सकता है.

आजकल जिस तरह का माहौल है, उसमें लोग छोटी छोटी परेशानियों से बहुत जल्दी हताश हो जाते हैं, यहाँ तक कि, जीने की उम्मीद ही छोड़ देते हैं. संघर्ष की इच्छाशक्ति ही नहीं होती, वो इच्छाशक्ति जो हमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हज़ारों साल पहले सिखा गए.

राजा का बेटा होने के बाद भी उन्होंने पूरे जीवन भर संघर्ष किया, वन वन भटकते रहे, खुद परेशानी में होकर भी अपने मित्रों की सहायता करते रहे. लेकिन फिर भी हमेशा मुस्कुराते रहे, धैर्यवान रहे, अनुशासित रहे, और मर्यादा का सदैव पालन किया. जितना संघर्ष श्रीराम ने अपने जीवनकाल में किया उतना आम इंसान सोच भी नहीं सकता, और वो भी एक ऐसे कुल के वंशज होने के बाद जिसका साम्राज्य दूर दूर तक फैला हुआ था. गुरुकुल में भी उन्होंने बहुत कठिन जीवन जिया, धरती पर सोते थे, कंद मूल खाकर अपनी दिनचर्या पूरी करते, और यही उन्होंने अपने आगे के जीवन में भी किया.

इंसान अपने जीवन में मुसीबतें आने पर अगर सच्चे मन से एक बार श्रीराम का नाम लेकर आगे बढ़े, तो बड़ी से बड़ी मुश्किलों को पार कर सकता है. क्योंकि श्रीराम जीवन जीने की कला में बसते हैं, समस्याओं का हंसकर सामना करना सिखाते हैं, और हर इंसान को ये बताते हैं कि, जीवन बहुत अनमोल है, और ये केवल जीने के लिए है.