माघ मेला: कहते हैं प्रयागराज के इस मेले में स्नान करने से होती है मोक्ष की प्राप्ति

हिंदू धर्म में माघ मास का बहुत अधिक महत्व है। माघ मास को बहुत ही पवित्र महिना माना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में माघ मास को लेकर कई नियम भी बनाए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से सारा जीवन सुखमय होता है। माघ मास में स्नान, दान-पुण्य का भी अत्यधिक महत्व है। माघ मास में देश में कई जगहों पर माघ मेले का आयोजन किया जाता है। इन मेलों में से प्रयागराज के माघ मेले का विशेष महत्व है। हिंदुओं के धार्मिक तीर्थ स्थल प्रयागराज में पौष मास की पूर्णिमा को माघ मेले का आयोजन किया जाता है। प्रयागराज का यह विशाल और भव्य मेला उत्तरप्रदेश के सबसे बड़े मेलों में से एक है।

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माघ मेले के दौरान बड़ी संख्या में साधु-संत और श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचते हैं और त्रिवेणी संगम पर स्नान करते हैं। माघ स्नान को कल्पवास भी कहा जाता है। मान्यता है कि कल्पवास करने वाले व्यक्त‍ि को मोक्ष की प्राप्त‍ि होती है। माघ मेले के दौरान प्रयागराज में कई तरह की धार्मिक गतिविधियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इसके अलावा मेले में पारंपरिक हस्तशिल्प, दैनिक उपयोग की पारंपरिक वस्तुओं और खाद्य पदार्थों की बिक्री भी जाती है।

माघ मेले के दौरान प्रयागराज का नजारा बहुत ही अद्भुत होता प्रयागराज के माघ मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यही नहीं बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी भारतीय संस्कृति को समझने के लिए माघ मेले में आते हैं।

प्रयागराज में लगने वाले माघ मेले का इतिहास काफी पुराना है। सम्राट हर्षवर्धन के काल में भी माघ मेला का जिक्र आता है। कहा जाता है कि सम्राट हर साल माघ मेले में जाते थे। ब्रिटिश शासन काल के दौरान भी माघ मेले का आयोजन किया जाता था।

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वहीं धार्मिक मान्यता है कि भृगु देश में कल्याणी नाम की एक ब्राह्मणी रहती थी, जिसे बचपन से ही वैधव्य प्राप्त हो गया था। वह रेव कपिल के संगम पर जाकर तप करती थी। कल्याणी ने कुल 60 माघों का स्नान किया और अंत में वहीं अपना शरीर त्याग दिया। लेकिन माघ स्नान करने के कारण कल्याणी अप्सरा का अवतार लेकर इंद्रलोक में चली गई। तब से ही माघ स्नान को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।प्रयागराज के माघ मेले में स्नान करने से होती है मोक्ष की प्राप्ति हिंदू धर्म में माघ मास का बहुत अधिक महत्व है। माघ मास को बहुत ही पवित्र महिना माना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में माघ मास को लेकर कई नियम भी बनाए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से सारा जीवन सुखमय होता है। माघ मास में स्नान, दान-पुण्य का भी अत्यधिक महत्व है। माघ मास में देश में कई जगहों पर माघ मेले का आयोजन किया जाता है। इन मेलों में से प्रयागराज के माघ मेले का विशेष महत्व है। हिंदुओं के धार्मिक तीर्थ स्थल प्रयागराज में पौष मास की पूर्णिमा को माघ मेले का आयोजन किया जाता है। प्रयागराज का यह विशाल और भव्य मेला उत्तरप्रदेश के सबसे बड़े मेलों में से एक है।

माघ मेले के दौरान बड़ी संख्या में साधु-संत और श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचते हैं और त्रिवेणी संगम पर स्नान करते हैं। माघ स्नान को कल्पवास भी कहा जाता है। मान्यता है कि कल्पवास करने वाले व्यक्त‍ि को मोक्ष की प्राप्त‍ि होती है। माघ मेले के दौरान प्रयागराज में कई तरह की धार्मिक गतिविधियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इसके अलावा मेले में पारंपरिक हस्तशिल्प, दैनिक उपयोग की पारंपरिक वस्तुओं और खाद्य पदार्थों की बिक्री भी जाती है।

माघ मेले के दौरान प्रयागराज का नजारा बहुत ही अद्भुत होता प्रयागराज के माघ मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यही नहीं बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी भारतीय संस्कृति को समझने के लिए माघ मेले में आते हैं।

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प्रयागराज में लगने वाले माघ मेले का इतिहास काफी पुराना है। सम्राट हर्षवर्धन के काल में भी माघ मेला का जिक्र आता है। कहा जाता है कि सम्राट हर साल माघ मेले में जाते थे। ब्रिटिश शासन काल के दौरान भी माघ मेले का आयोजन किया जाता था।

वहीं धार्मिक मान्यता है कि भृगु देश में कल्याणी नाम की एक ब्राह्मणी रहती थी, जिसे बचपन से ही वैधव्य प्राप्त हो गया था। वह रेव कपिल के संगम पर जाकर तप करती थी। कल्याणी ने कुल 60 माघों का स्नान किया और अंत में वहीं अपना शरीर त्याग दिया। लेकिन माघ स्नान करने के कारण कल्याणी अप्सरा का अवतार लेकर इंद्रलोक में चली गई। तब से ही माघ स्नान को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।