साल में केवल आज के ही दिन खुलता है ये मंदिर

भारत वर्ष मंदिरों का देश है, हर जगह अद्भुत और धार्मिक मान्यताओं वाले छोटे बड़े मंदिरों की अलग अलग महिमा है. कुछ तो शहर ही ऐसे हैं, जिन्हें प्राचीन काल से मंदिरों का शहर कहा जाता है. जैसे वाराणसी, अयोध्या, प्रयागराज और हरिद्वार. इन्हीं में से एक शहर है, मध्यप्रदेश का उजैन, जो भगवान भोलेनाथ के ज्योतिर्लिंगों में एक महाकालेश्वर मंदिर के लिए जाना जाता है.ImageSource

इसी महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे तल पर स्थित है प्रसिद्ध नागचंद्रेश्वर मंदिर. और इस मंदिर की एक बड़ी विशेषता ये है कि, साल में ये सिर्फ एक ही दिन खुलता है, वो भी आज यानी नागपंचमी के दिन, जिसे श्रावण की शुक्लपंचमी भी कहा जाता है. कहा जाता है कि, इस मंदिर में स्वयं नागराज तक्षक विराजमान हैं.

इस मंदिर में 11 वीं शताब्दी में बनी हुई हुई एक अनोखी प्रतिमा है, जिसमें नागराज ने अपना अपना फन फैलाया हुआ है, और नागराज के ही आसन पर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती विराजमान हैं. इस विशेष तरह की प्रतिमा के बारे में ये कहा जाता है कि, ये नेपाल से लायी गई थी, और इस तरह की दूसरी और कोई भी प्रतिमा दुनियां में और कहीं नहीं है.
इस मंदिर की और भी एक विशेषता है, इसमें सर्पशैया पर भगवान विष्णु की जगह भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं. इस प्राचीन मूर्ति में शिवजी की मूर्ति के साथ माता पार्वतीजी और गणेशजी भी विराजमान हैं. ImageSource

केवल एक ही दिन में दो लाख से ज्यादा भक्त इस मंदिर के दर्शन करते हैं. जानकारी के अनुसार नागपंचमी के दिन रात के 12 बजे तक मंदिर में दर्शन के लिये पट खोलकर रखे जाते हैं. और उसके बाद एक साल के लिए इस मंदिर के द्वार फिर से बंद हो जाते हैं. ये परम्परा राजाओं के समय से शुरू हुई थी, और आज तक उसी तरह बरकरार है. मान्यता है कि, नागपंचमी के दिन इस मंदिर में विराजे भगवान शिव शम्भू के दर्शन से मनोकामना पूर्ण हो जातीं हैं.