भारतीय संस्कृति में किसी भी महिला के लिए उसका सुहाग ही उसका सौभाग्य माना जाता है। संभवत यही कारण है कि महिलाओं के हर व्रत में उसके सौभाग्य, संतान और समृद्धि की कामना की जाती है। सौभाग्य और खुशहाली देने वाले ऐसे ही व्रत का नाम है मंगला गौरी। इस व्रत में माता पार्वती की पूजा की जाती है। जिस तरह श्रावण मास भगवान शिव को प्यारा है और इस मास में भक्त शिव आराधना में डूब जाते हैं, उसी तरह भगवान शिव की अर्धांगिनी देवी पार्वती का यह व्रत भी सावन माह में किया जाता है। एक तरफ भगवान शिव को सोमवार प्यारा है वहीं देवी पार्वती को समर्पित मंगला गौरी व्रत श्रावण मास के हर मंगलवार को किया जाता है। ImageSource
सामान्यत: हर व्रत की अपनी विधि और कुछ अलग विधान होता है। मंगला गौरी व्रत का तरीका और उसकी समयावधि भी अन्य व्रतों से कुछ हटकर है। इस व्रत को श्रावण के प्रथम मंगलवार से शुरू किया जाता है और इसके बाद माह के सभी मंगलवारों पर व्रत रखा जाता है। यह मंगला गौरी व्रत 5 वर्षों तक किया जाता है लेकिन 5 वर्षों में सिर्फ श्रावण मास के मंगलवारों पर ही उपवास एवं आराधना की जाती है।
मंगला गौरी की विशेषता यह है कि इसे सुहागन महिलाओं के साथ ही कुंवारी युवतियां भी करती हैं। सुहागिन महिलाएं जहां अपने सुहाग की रक्षा की कामना करती है, वहीं माना जाता है कि इस व्रत को करने से युवतियों कोे मनपसंद जीवनसाथी मिलता है। कुछ विद्वानों का यह मत भी है कि इस व्रत को करने से जन्म कुंडली का मंगल दोष दूर हो जाता है।
इस व्रत का महत्व इस कथा से समझा जा सकता है। धर्मपाल नाम का एक सर्व संपन्न सेठ था। उसकी पत्नी सुंदर थी लेकिन कोई संतान नहीं थी। इस कमी से वह दुखी रहता था। लंबे समय बाद भगवान की कृपा से उनके यहां पुत्र का जन्म हुआ। उसकी जन्मकुंडली बनी तो ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी कर दी कि जब यह बच्चा 16 साल का होगा तो उसे एक सर्प डंस लेगा, जिससे उसकी मृत्यु हो जाएगी। पुत्र किशोरावस्था में पहुंचा तो उसका विवाह ऐसी कन्या से हुआ जिसकी मां मंगला गौरी व्रत करती थी।ImageSource
मान्यता है कि इस व्रत को करने वाली महिला की बेटी को आजीवन पति का सुख मिलता है। इस व्रत के प्रताप से सेठ धर्मपाल के बेटे को लंबी आयु मिली और उसने सुखपूर्वक अपना पूर्ण जीवन जिया।
माना तो यह भी जाता है कि यदि किसी महिला की जन्म कुंडली में विवाह विच्छेद (तलाक) का दोष हो तो मंगला गौरी व्रत से उसके दोष दूर हो जाते हैं। इस प्रकार माता पार्वती का आशीष और अनुग्रह प्राप्त करने का यह उत्तम व्रत है। मंगला गौरी व्रत सर्वत्र मंगल ही मंगल लाता है।