श्रीराम मंदिर आन्दोलन के इतिहास में हमेशा अमर रहेगा इनका नाम

आखिरकार वर्षों का इंतज़ार ख़तम हो चुका है, और अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण की शुभ घड़ी आ गई है. निर्माण कार्य शुरू भी हो चुका है. दुनियां में कुछ भी आज तक ऐसे ही नहीं मिला, जिस तरह इंसान को जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ता है, ऐसे ही राम मंदिर आन्दोलन में कई जीवन एक साथ संघर्ष कर रहे थे, इस आन्दोलन के कुछ ऐसे चेहरे हैं, जिन्हें हम कभी नहीं भूल पायेंगे. जब जब राम मंदिर के इतिहास का ज़िक्र आएगा, ये चेहरे सबसे आगे चमकते हुए दिखाई देंगे. इन सबने अपना जीवन इस आन्दोलन के लिए खपा दिया.

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हालांकि रामभक्तों का अपने प्रभु के मंदिर के लिए संघर्ष तो कई सालों या फिर यूँ कह लें कि, पांच सदियों से चल रहा था. हर बार यही लगता था कि, अब मंदिर बन जाएगा, पर बहुत लंबा चला ये सिलसिला. चार सदियाँ तो भारत में कभी मुगलों तो कभी पुर्तगालियों और अंग्रेजों के शासन काल में निकल गईं, लेकिन जब इस देश को आज़ादी मिली और प्रजातंत्र कायम हुआ तब ज़रूर ये लगने लगा था कि, अब मंदिर बन जाएगा. पर रास्ता बहुत कठिन था.

अयोध्या में जब कारसेवा प्रारंभ हुई उसके बाद सही मायनों में राम मंदिर आन्दोलन में गति आई, और फिर देखते ही देखते ये पूरी दुनिया के रामभक्तों का जूनून बन गया. इस आन्दोलन को सबसे ज्यादा प्रखर बनाया विश्व हिन्दू परिषद् के संस्थापक और महासचिव स्वर्गीय अशोक सिंघलजी ने. अशोक सिंघल राम मंदिर आन्दोलन के सबसे बड़े नेता थे, और उन्होंने ही राम जन्मभूमि न्यास का गठन किया. लगातार 20 साल तक विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल ही वो इन्सान थे, जिन्होंने अयोध्या के राम मंदिर आन्दोलन को इतना बड़ा रूप दे दिया कि, हर घर से राम मंदिर बनाने की आवाज़ उठने लगी. हमेशा राम मंदिर आन्दोलन के सबसे बड़े चेहरे के रूप में वो याद आयेंगे. महंत रामचंद्रदास परमहंस, महंत अवैधनाथ, महंत दिग्विजय नाथ, स्वामी वामदेव, स्वामी सत्यामित्रागिरी महाराज, डॉक्टर रामविलास वेदांती, स्वामी अवैधनाथ, भाजपा नेता श्रीलालकृष्ण आडवाणी, डॉ मुरली मनोहर जोशी, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, भाजपा नेता विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा और उमा भारतीजी जैसे कई बड़े नाम हैं, जिन्होंने श्रीराम मंदिर आन्दोलन के लिए बहुत संघर्ष किया.

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अब इन सभी दिग्गजों का सपना साकार हो रहा है. इनमें से कुछ तो अब हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन वो जहाँ भी हैं, भगवान श्रीराम के लिए भव्य मंदिर को बनता हुआ देखकर उनकी आत्मा को परम संतोष मिल रहा होगा. आखिर ये सबके लिए विजय उत्सव है.