किसी की इच्छा के विरुद्ध किया गया विवाह बन सकता है बहुत बड़ी मुसीबत

भगवान बुद्ध ने अपनी जातक कथाओं से हमें धर्म-अधर्म, अच्छे-बुरे कर्मों और उनके फल के बारे में बताया है। इन कथाओं से सीख लेकर हम अपने जीवन को धर्म और सच्चाई के मार्ग पर आगे ले जा सकते हैं। ऐसी ही एक जातक कथा है कि किसी समय एक दुष्ट दैत्य हुआ करता था। दैत्य को राहगीरों को लूटने और उनको परेशान करने में बड़ा मजा आता था। एक दिन नगर के सेठ की पुत्री अपने अनुचरों के साथ जा रही थी। अपनी आदत के अनुसार दैत्य उन्हें लूटने के लिए पहुंचा। दैत्य को देख कन्या के सारे अनुचर भाग खड़े हुए सिर्फ कन्या अकेली वहां बच गई। दैत्य ने जब कन्या को देखा तो वह उसकी सुंदरता पर मोहित हो गया। दैत्य ने कन्या से जबरदस्ती विवाह कर लिया और वह कहीं भाग ना जाए, इसलिए दैत्य उसे संदूक में बंद करके हमेशा अपने साथ ही रखता था।

दैत्य भले ही दुष्ट था, लेकिन उसमें एक अच्छाई थी कि वह हिमालय की तराई में बौद्ध साधु के उपदेश सुनने के लिए जाता था। एक दिन जब दैत्य संदूक लेकर हिमालय की तरफ जा रहा था, उसे एक सुंदर जलाशय दिखाई दिया। दैत्य जलाशय के पास पहुंचा और संदूक खोलकर कन्या को अपने हाथों से स्नान करवाया। इसके बाद दैत्य खुद जलाशय में स्नान करने लगा। इस दौरान कन्या जलाशय के किनारे विचरण करने लगी। तभी उसकी नजर एक जादूगर पर पड़ी।

मदद मांगने के लिए कन्या ने इशारों में जादूगर को संदूक में बैठने के लिए कहा। इसके बाद कन्या भी अपने लिबास से संदूक को ढक्कर उसमें बैठ गई। स्नान करने के बाद दैत्य ने संदूक को बंद किया और उसे लेकर साधु के पास जाने के लिए निकल पड़ा।

रास्ते में कन्या ने जादूगर को पूरी बात बताई और मदद करने के लिए कहा। इस पर जादूगर ने निर्णय लिया कि वह अपनी तलवार से दैत्य का पेट फाड़ देगा। इसी बीच जब दैत्य साधु के पास पहुंचा तो साधु ने दैत्य से कहा कि आप तीनों का स्वागत है। साधु की बात सुनकर दैत्य को आश्चर्य हुआ। उसने सोचा कि मेरे और संदूक में मौजूद कन्या के अलावा यहां तीसरा कौन है? लेकिन साधु ने कुछ कहा है तो उसका निश्चित ही कुछ अभिप्राय होगा। दैत्य ने तुरंत संदूक को अपने आप से दूर किया और उसे खोल दिया।

दैत्य ने देखा कि संदूक में कन्या के साथ एक युवक है जो अपनी तलवार से उस पर हमला करने ही वाला था। दैत्य ने अपनी जान बचाने के लिए साधु को धन्यवाद दिया। इस पर साधु ने दैत्य से कन्या व युवक को छोड़ने और हमेशा अच्छे कर्म करने का वचन लिया। इसके बाद दैत्य ने सारे बुरे कर्म छोड़ दिए और अच्छाई के रास्ते पर चलने लगा। इस तरह बुरे कर्मों के बाद भी साधु के वचन एवं ज्ञान को सुनने के कारण दैत्य की जान बच गई।