राम मंदिर निर्माण के लिए ली 54 बार भू-समाधि, 17 बार जल समाधि

अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए देश-विदेश में कई लोग बरसों से सपना देख रहे थे। इनमें सिर्फ भगवान राम को पूजने वाले, भक्ति में रमे हुए लोगों के साथ ही कई ऐसे तपस्वी हैं, जो मंदिर निर्माण के लिए विशेष साधना कर रहे थे। इन्हीं में से एक हैं उत्तर प्रदेश के अमेठी में स्थित सागरा आश्रम पीठाधीश्वर अभय चैतन्य मौनी महाराज जी। ये महातपस्वी बाबा लगभग 29 वर्षों से अपने आराध्य भगवान श्रीराम के अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए साधना कर रहे हैं। कई लोगों के सपने और कई तपस्वियों की साधना फलित होने के चलते जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे तो इस अवसर पर मौनी महाराज भी विशेष तौर पर मौजूद रहेंगे।

अपनी तपस्या सफल होने पर मौनी महाराज जी न केवल बहुत प्रसन्न हैं बल्कि वे इस बात को लेकर भी बहुत उत्साहित हैं कि 492 वर्षों के बाद प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम को वे देख सकेंगे। यह जानना भी आवश्यक है कि मौनी महाराज जी ने श्रीराम मंदिर के भव्य निर्माण के लिए जो 29 साल की तपस्या की है उनमें 1,488 किलोमीटर की, उनके द्वारा लेटकर की गई परिक्रमा भी शामिल है।

सागरा आश्रम के पीठाधीश्वर मौनी महाराज जी की एक फायरब्रांड संत के रूप में भी पहचान है। वे हर वर्ष नवरात्र और सावन में कई बड़े धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए हर साल सावन माह में महाराजश्री कई लाख दीप जलाकर प्रभु श्रीराम मंदिर निर्माण की भगवान महाकाल से प्रार्थना करते आए हैं। इसके साथ ही प्रयागराज के संगम में भी वह हर वर्ष अनुष्ठान करते आए हैं, जिसमें श्रीराम मंदिर निर्माण का संकल्प प्रमुखता से रहा है।

मंदिर निर्माण के लिए होने जा रहे भूमिपूजन के साथ ही मौनी महाराज जी की तपस्या भी पूरी हो गई है। 1,488 किलोमीटर की लेटकर परिक्रमा करने के साथ ही वे अमेठी के सागरा आश्रम से काशी और अयोध्या तक पद यात्रा कर चुके हैं। विशेष बात यह भी है कि भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए अब तक उन्होंने 55 बार भू-समाधि ली है और 17 बार जल समाधि ले चुके हैं। सचमुच महाराजश्री का काम और तपस्या साधारण नहीं है। अब तक उन्होंने काशी, अयोध्या सहित देश के कई तीर्थ स्थलों-आश्रमों पर 3 करोड़ 88 लाख दीपक जलाए हैं। पांच वर्ष पूर्व ही बाबा ने 84 कोसी परिक्रमा पूरी की। मौनी महाराज कहते हैं अयोध्या में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के लिए वे कभी तप-साधना करने में पीछे नहीं हटे, इन तपस्याओं से उन्हें कभी कोई कष्ट नहीं हुआ। अब जब प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण का शुभारंभ होने जा रहा है, उनके जीवन में इससे बड़ी कोई खुशी नहीं हो सकती।